सैद्धांतिक पाठ्यक्रम के साथ फील्ड कार्य का भी दिया जा रहा है प्रशिक्षणशिवपुरी- चार वर्षों में होने वाली अखिल भारतीय बाघ गणना (एआईटीई) 2026 को लेकर केंद्रिय वन पर्यावरण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की निगरानी में जिला मुख्यालय स्थित माधव टाईगर रिजर्व परिसर में 3 से 5 नवम्बर तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिसमें मुख्य रूप से एसडीओ एवं रेंजर व अन्य वन विभाग का अमला शामिल होकर इस बाघ गणना को लेकर बारीकी से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है जो आने वाले समय में अपने अधीनस्थ अमले को प्रशिक्षित कर दिसम्बर से फरवरी 2026 तक होने वाली बाघ, तेंदुआ, चीता सहित अन्य वन्य जीवों की जनगणना में अपनी भूमिका निभाऐंगें। इस प्रशिक्षण को मुख्य रूप से देहरादून से आए प्रशिक्षक अनूप प्रधान एवं डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूआई एनजीओ के प्रशिक्षक संदीप चौकसे मौजूद रहे जिनके द्वारा इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षकों को सैद्धांतिक पाठ्यक्रम के साथ फील्ड कार्य का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा।
इस वन्य जीवो प्राणियों लेकर होने वाली गणना में ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, कुनो, श्योपुर, अशोकनगर एवं गुना के एसडीओ, रेंजर और अधीनस्थ वन अमला प्रशिक्षण में शामिल है। यह राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला है जबकि इसके पूर्व अक्टूबर माह में राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हो चुकी है। इस प्रशिक्षण में मुख्य रूप से बाघों की गणना में उसके आंकलन प्रक्रिया के लिए डेटा संग्रह में एकरूपता, सटीकता और वैज्ञानिक दृढ़ता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तीन दिवसीय यह कार्यशाला वन विभाग के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा, उपसंचालक हरिओम, सहायक संचालक मुकुल सिंह, वन परिक्षेत्राधिकारी बृंदावन यादव माधव टाईगर रिजर्व की उपस्थित में समस्त कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस दौरान कार्यक्रम की शुरुआत माननीय क्षेत्र संचालक के उद्बोधन से हुई जिसमें उनके द्वारा बाघ आंकलन की शुरुआत क्यों हुई, उसका इतिहास, सामाजिक महत्व एवं आर्थिक विकास के चरणों से जोड़ते हुए बाघ आंकलन के तकनीकी विकास एवं भविष्य सटीक विश्लेषण के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। इसके साथ ही कार्यक्रम के सैद्धांतिक पाठ्यक्रम की शुरुआत माधव टाईगर रिजर्व के उपसंचालक द्वारा की गई जिसमें इकोलॉजिकल ऐप के माध्यम से मांसाहारी एवं बड़े शाकाहारी जानवरों के चिन्ह का मुआयना कैसे किया जाए बताया गया। इसी क्रम में ट्रांजिस्ट वॉक पर शाकाहारी जानवरों का मुआयना के संबंध में वनमण्डलाधिकारी कूनो के द्वारा जानकारी दी गई। साथ में मानव व्यवधान जानवरों की लेंडियों का एवं गिद्धों की सर्वे कैसे किया जाए बताया गया। इसके अलावा कैमरा ट्रैपिंग की जानकारी उपसंचालक माधव टाईगर रिजर्व के द्वारा प्रदान की गई। इसके साथ ही क्षेत्र भ्रमण कर इकोलॉजिकल ऐप का प्रयोगात्मक अवलोकन किया गया जिसमें ऐप को चला कर उसमें मौके पर जाकर जानकारी भरी गई।
इस दौरान कार्यक्रम की शुरुआत माननीय क्षेत्र संचालक के उद्बोधन से हुई जिसमें उनके द्वारा बाघ आंकलन की शुरुआत क्यों हुई, उसका इतिहास, सामाजिक महत्व एवं आर्थिक विकास के चरणों से जोड़ते हुए बाघ आंकलन के तकनीकी विकास एवं भविष्य सटीक विश्लेषण के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। इसके साथ ही कार्यक्रम के सैद्धांतिक पाठ्यक्रम की शुरुआत माधव टाईगर रिजर्व के उपसंचालक द्वारा की गई जिसमें इकोलॉजिकल ऐप के माध्यम से मांसाहारी एवं बड़े शाकाहारी जानवरों के चिन्ह का मुआयना कैसे किया जाए बताया गया। इसी क्रम में ट्रांजिस्ट वॉक पर शाकाहारी जानवरों का मुआयना के संबंध में वनमण्डलाधिकारी कूनो के द्वारा जानकारी दी गई। साथ में मानव व्यवधान जानवरों की लेंडियों का एवं गिद्धों की सर्वे कैसे किया जाए बताया गया। इसके अलावा कैमरा ट्रैपिंग की जानकारी उपसंचालक माधव टाईगर रिजर्व के द्वारा प्रदान की गई। इसके साथ ही क्षेत्र भ्रमण कर इकोलॉजिकल ऐप का प्रयोगात्मक अवलोकन किया गया जिसमें ऐप को चला कर उसमें मौके पर जाकर जानकारी भरी गई।
क्षेत्र भ्रमण में माधव टाईगर रिजर्व के सहायक संचालक, कूनो के उपवनमंडलाधिकारी के साथ-साथ दक्षिण परिक्षेत्र के वन परिक्षेत्राधिकारी माधव टाईगर रिजर्व एवं स्टाफ मौजूद रहा। कार्यकम का समापन वक्तव्य में क्षेत्र संचालक माधव टाईगर रिजर्व के द्वारा पूरे कार्यक्रम की एक संक्षिप्त चर्चा की गई एवं कार्यकम को सफल बनाने के लिए सभी के प्रयासों की सराहना की गई। अखिल भारतीय बाघ आकलन जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में कार्य करते समय प्रभावी प्रशिक्षण और सर्वोत्तम प्रथाओं का साझाकरण आवश्यक है। इसे लेकर यहां से सुप्रशिक्षित प्रशिक्षक बाघ अभयारण्यों, वन्यजीव प्रभागों और वन क्षेत्रों में अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का मार्गदर्शन और सशक्तिकरण करेंगें, जिससे क्षेत्रीलय कार्यान्वयन को मजबूती मिलेगी। कार्यशाला में वन्यजीव शाखा, बाघ अभयारण्यों और अन्य वन क्षेत्रों के बीच निर्बाध समन्वय के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया, जिससे संरक्षण और निगरानी के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा मिला।
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