---------------------------------News Website By 𝐑𝐚𝐣𝐮 𝐘𝐚𝐝𝐚𝐯--------------------------------

𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Saturday, October 19, 2019

नि:शुल्क सेवा भाव से कर रहे पवा गौशाला की सेवा, शासन से मदद की गुहार

गुणकारी गाय की सेवा के लिए आगे आऐं लोग, करें सेवा कमाऐं पुण्य लाभ
-राजू यादव(ग्वाल)-

शिवपुरी-जिला मुख्यालय से करीब 22 किमी की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध पर्यटक स्थल पबा में पास ही गौशाला संस्थान में इस समय करीब 148 गाय हैं और पवा एक धार्मिक स्थल है यहां पर गौशाला को खोला गया है जो कि गौ संवर्धन बोर्ड में पंजीयत भी है समिति का जिसके अध्यक्ष शंकर लाल हैं तथा समिति के सभी सदस्य नियमित रूप से गौशाला के लिए नि:शुल्क सेवाभाव से कार्य करते हैं। स्थानीय लोगों और सेवादार लोगों की सहायता से इस गौशाला में 500 गायों को रखने का लक्ष्य तय किया गा है तथा गोबर गैस प्लांट और गोमूत्र बनाने का योजना भी समिति बना रही है ऐसे में यदि गौसेवा के माध्यम से अगर कोई व्यक्ति गौशाला में सहयोग करना चाहे तो प्रत्येक गाय को गोद भी ले सकता है और संस्था में सदस्य बनना चाहे सदस्य बन सकता है। पवा स्थित गौशाला से जुड़े पूर्व पार्षद प्रदीप शर्मा ने बताया कि पर्यटक स्थल पवा स्थित गौशाला में अभी डेढ़ सौ गौसेवक 40 फीट की दो 3 साइड है और यहां गायों के रहने के लिए तथा भूसा रखने के लिए 40 बाई 100 का अलग स्थान दिया गया है गायों की रखरखाव करने के लिए पांच व्यक्तियों की नियुक्ति की गई है तथा अभी भी काफी जानवर आ रहे हैं जिनकी देखभाल और रखरखाव के लिए रहने की व्यवस्था बनाना आवश्यक है। लेकिन यदि इस गौशाला को शासकीय योजना तथा गौ सेवादारों का सहयोग मिल जाए तो संभवत: यह गौशाला संपूर्ण जिले के लिए आदर्श गौशला के रूप में स्थापित की जाएगी। इसे लेकर जो भी आमजन गौ सेवा करना चाहे वह सर्वप्रथम स्वयं ही पवा पहुंचकर गौशाला का अवलोकन करें और फिर उसमें सेवादार के रूप में गौसेवक बनकर पुण्य लाभ अर्जित करें।
पुरातन परंपरा है गौ सेवागौशाला से जुड़े पूर्व पार्षद प्रदीप शर्मा बताते है कि प्राचीन भारत के विचारकों ने गाय के महत्व को पहचाना था उन्होंने पाया कि गाय की दूध स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है, गाय के गोमूत्र से खाद, कीटनाशक एवं औषिधिय उपयोग तथा भूमि की उत्पादकता बढ़ाने हेतु गोबर खाद ही उत्तम है। इसके साथ ही गाँव में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए तथा कृषकों की आय में वृद्धि के लिए हमें पुन:गौ आधारित स्वावलंबी कृषि की ओर वापस जाना होगा। बदले हुए हालात में आज कम से कम गाय के दूध का उत्पादन बढ़ाकर तथा गोबर व गौमूत्र की प्रयोग से रासायनिक खाद व कीटनाशकों पर होने वाले खर्च व गौमूत्र के प्रयोग से रासायनिक खाद व कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को बचाकर ग्राम लक्ष्मी का पुन: आह्वान किया जा सकता है।
हो रहा गायों का संहारवहीं आमजन की एक पीड़ा यह भी है कि वर्तमान परिवेश में गायों का अपमान किया जा रहा है उनका शोषण हो रहा है और बड़ी बेरहमी से गायों का संहार किया जा रहा है। जिस गाय को कभी मंदिरों और महलों में रखा जाता था आज उसे ऐसे स्थानों में रखा जा रहा है जहां ताजी हवा नहीं हैं उसे प्लास्टिक और कूड़ाघर में पेट भरने के लिए छोड़ दिया जाता है। गाय एकमात्र पशु ऐसे है जिसका सब कुछ सभी की सेवा में काम आता है। स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।
गाय का दूध होता हैं गुणकारीबताना होगा कि गाय का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घीए दहीए छाछए मक्खन आदि सभी बहुत ही उपयोगी है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़.पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।
यह लाभ होते है गौसेवा सेदेशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु होते हैं।
रूस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं।
एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।
हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी.देवता निवास करते हैं।
कोटि का अर्थ करोड़ नहीं प्रकार होता है। इसका मतलब गाय में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। ये देवता हैं. 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विन कुमार। यह मिलाकर कुल 33 होते हैं।

No comments: