मामला गुजरात के सूरत शहर से पलायन करके उ.प्र. जा रहे मजदूर की मौत का
शिवपुरी- कुदरत भी क्या खेल इंसान के साथ खेलती है कि एक ऐसा समय जब कोरेाना ने हरेक मजदूर को प्रभावित कर अपने-अपने घर पहुंचने को मजबूर कर दिया और इस आपदा में कई लोग जहां आए दिन सड़क हादसों का शिकार हो रहे है तो कोई ऐसा भी है जो एक-दूसरे से रिश्ता ना होने के बाबजूद भी इंसानियत के धागे के सहारे आगे बढ़े जा रहे थे
तभी धर्म से अलग हिन्दू भाई की एकाएक शिवपुरी के पहले पड़ौरा के निकट हालत बिगड़ी और उसे उसके मुस्लिम साथी ने अपनी काफी जद्दोजहद के बाद स्थानीय लोगों के माध्यम से जिला चिकित्सालय में उपचार के लिए भर्ती कराया। यहां 16 मई को भर्ती हुए हिन्दू भाई मजदूर अमृतलाल निवासी बस्ती उत्तरप्रदेश का 17 मई की रात को उपचार के दौरान निधन हो गया जबकि उसकी सहायता के लिए खड़ा मुस्लिम युवक मो.कय्यूम उसे अपने साथ ले जाने की जिद पर अड़ा रहा।
लेकिन हाय रे मुसीबत जिला प्रशासन की असंवदेनशीलता कहे या फिर भाग्य की निराशा कि मृत अमृत लाल की मृत्यु के लगभग 24 घंटे तक भी उसे एम्बुलेंस नसीब नहीं हो सकी ताकि उसे उसका साथी इंसानियत के भरोसे अपने साथ ले आए और परिजनों को अंतिम दर्शन करा अंतिम संस्कार की क्रियाविधि को संपन्न कराए। इस मामले को लेकर जिला प्रशासन का यह रवैया हठधर्मिता पूर्ण रहा कि सोशल मीडिया और कई अन्य माध्यमों से उन तक संदेश पहुंचाया गया लेकिन ना तो अस्पताल प्रबंधन ने सुनी और ना ही जिला प्रशासन ने जिससे मृतक की बॉडी को उसके घर भेजा जा सके।
-तेरे जैसा यार कहांए कहां ऐसा याराना, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना याराना फिल्म यह आज चरितार्थ की है, किशोर कुमार उन उक्त पंक्तियों को उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले का रहने वाले इस युवक ने इंसानियत की वह मिसाल पेश की जिसे भुलाया नहीं जा सकेगा।
यह था मामला
मो. कय्यूम और उसका मित्र अमृत दोस्ती की एक अद्भूत मिसाल हैं। दोनों की पारिवारिक परिस्थितियां लगभग एक समान हैं और गरीबी से उनका बचपन से ही रिश्ता है। इसी कारण रोजी रोटी की तलाश में दोनों मित्र गुजरात के सूरत शहर में पहुंच गए। जहां दोंनो कपड़ा फैक्ट्री में कपड़ा बुनने का काम कर अपनी आजीविका चलाने लगे। लेकिन ईश्वर को तो कुछ ओर ही मंजूर था। दोनों के धैर्य और दोस्ती की विधाता को परीक्षा लेनी थी। कोरोना के कारण कपड़ा फैक्ट्री बंद हो गई और देशभर में लॉकडाउन लागू हो गया।
उन्हों ने गांव जाने की ठानी ताकि वहां से वह अपने गांव जा सकें। ट्रक वाले को भी उनकी गरीब स्थिति पर कोई तरस नहीं आया और उनसे कानपुर जाने के लिए 4-4 हजार रूपए किराया वसूला। ट्रक चालक उनके अलावा आधा सैकड़ा मजदूरों को भी साथ ले गया । भूख और तेज गर्मी के कारण अमृत की हालत खराब हो गई और उसे उल्टीए दस्त भी होने लगे। अन्य मजदूरों ने ट्रक चालक पर दबाव बनाया कि उन्हें यहीं उतार दिया जाए अन्यथा उनकी भी जान को खतरा है। दोनों दोस्तों ने काफी मिन्नत की।
लेकिन उसका कोई असर अन्य मजदूरों और ट्रक चालकों पर नहीं पड़ा और कल शाम 4 बजे कोलारस के प्रवेश द्वार पर ट्रक चालक उन्हें सड़क किनारे छोड़कर ट्रक लेकर भाग गया । तेज धूप के कारण अमृत की हालत खराब होने लगी। ऐसे में उसके मित्र कय्यूम ने उसे अपनी गोद में बैठा लिया और उसे धीरज देने की कोशिश की। वहां से गुजर रहे भाजपा नेता सुरेंद्र शर्मा ने जब दो मजदूरों को सड़क किनारे बेहाली अवस्था में देखा तो मानवीयता की भावना के वशीभूत होकर वह वहां रूके।
उन्होंने मोण् कय्यूम से पूरी स्थिति की जानकारी ली और फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर 108 एम्बुलेंस बुलवाई। तब तक पूरे समय मोण् कय्यूम अपने हिन्दु मित्र अमृत को अपनी गोद में लिटाकर पानी पिलाता रहा। एम्बुलेंस आने के बाद वह अपने मित्र को किसी तरह अन्य लोगों की मदद से एम्बुलेंस तक ले गया। उस समय उसकी हालत देखने लायक थी और अपने मित्र की दशा देखकर उसकी आंखों में से आंसू टपक रहे थे। जिला चिकित्सालय में मोण् कय्यूम अंतिम सांस तक अपने मित्र के साथ रहा और इस तरह से उसने हिन्दु.मुस्लिम भाईयों की दोस्ती को एक अनूठे उदाहरण के रूप में नफरत की राजनीति करने वालों के समक्ष पेश किया।
इनका कहना है-
मैं सुबह से एम्बुलेंस के इंतजार में जिला चिकित्सालय में खड़ा हुआ मुझे केवल आश्वासन ही मिल रहे है यदि मुझे एम्बुलेंस दे दी जाए तो मैं अपने साथी अमृतलाल का शव लेकर उसके घर जा सकूं और अंतिम क्रियाविधि परिजनों को अंतिम दर्शन कराने के बाद पूरी हो सके। लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली केवल आश्वासन ही मिले है।
मो.कय्यूम,
निवासी बस्ती उत्तरप्रदेश
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