वीरेन्द्र शर्मा
जिस तरह से विश्व भर के राष्ट्रों द्वारा कोरोना महामारी के मद्देनजर अपने-अपने देशों में होने वाले चुनावों को टाला है या आगे-पीछे किया है मगर जिस तरह से सबसे बड़े लोकतंत्र में निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने का निर्णय कोरोना काल में लिया है और जिन आदेश निर्देशों के तहत सफलतापूर्वक चुनाव करवाने की बात निर्वाचन आयोग ने खासकर बिहार राज्य को लेकर की है वह निश्चित ही कितनी सार्थक सफल होगी यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है मगर निर्वाचन के दौरान सबसे अहम और सबसे जटिल प्रक्रिया आचार संहिता पश्चात शस्त्र लायसेंस थानों में जमा कराने को लेकर होती है जिसमें बड़े-पैमाने पर थानों में शस्त्र लायसेंस जमा कराए जाते है अगर कोरोना काल में भी यही प्रक्रिया दोहराई गई तो यह स्थानीय प्रशासन के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है क्योंकि जहां पुलिस पर एक ओर शस्त्र लायसेंस जमा कराने की जबाबदेही होती है तो वहीं दूसरी ओर निर्वाचन से जुड़े अन्य कार्यों को भी मूर्त रूप देने का उत्तरदायित्व होता है जिससे कोरोना कहर के बीच संक्रमण की संभावनाऐं प्रबल होने की संभावना अधिक है क्योंकि प्राय: खबरों में जिस तरह से आचार संहिता की सुगबुगाहट को देखते हुए जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा शस्त्र लायसेंस जमा कराने के निर्देश जारी हो रहे है उससे नहीं लगता कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का पालन सोशल डिस्टेंस को लेकर होने वाला है अगर ऐसे में निर्वाचन आयोग घरों में ही शस्त्र लायसेंस रखने के लिए प्रतिबंधित करता है तो जिला प्रशासन और पुलिस स्वत: ही आधे सिरदर्द से बच जाएगी और चुनावी प्रक्रिया भी शांतिपूर्वक और सफल तरीके से पूरी हो पाएगी। देखना होगा कि निर्वाचन आयोग निर्वाचन से जुड़े इस अहम विषय पर क्या संज्ञान ले सार्थक निर्णय लेता है।

No comments:
Post a Comment