भारतीय संस्कृति में सेवा की प्राचीन परंपरा : विजय पौराणिकशिवपुरी- कोरोना काल में संपूर्ण समाज ने जो एकजुटता दिखाई इस तरह का सेवा भाव निरंतर जनमानस को जोडऩे के लिए आवश्यक है यह उदगार व्यक्त किये संस्था के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री विजय पौराणिक ने जो आयोजित प्रबुद्ध जनों की गोष्ठी में बोल रहे थे।
उन्होंने मिजोरम का उदाहरण देते हुए बताया कि एक कार्यकर्ता के कारण जो कि वर्षों से सेवा कार्य कर रहे थे वहां की गर्भवती महिलाएं अपना प्रसव घर पर ही करवाती थी, सरकारी अस्पताल में उन्हें जाने की परमिशन वहां का समाज नहीं देता था लेकिन उन्होंने एक महिला का प्रसव सरकारी अस्पताल में करवाया और तब से वहां के निवासी सरकारी अस्पतालों में प्रसव करवाने लगे, केवल एक व्यक्ति के समर्पण और सेवा भाव के कारण वहां के समाज की मनोवृत्ति बदल गई। उन्होंने कई उदाहरणों के माध्यम से उपस्थित जनों को बताया कि वह किस तरह से समाज सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं और वंचित और अपेक्षित समाज की सेवा कर सकते हैं।
आगे बताया कि हमें संगठित रूप से समाज सेवा के कार्य को करने की आवश्यकता है जिसके कारण परिणामकारी फल प्राप्त होता है और यह एक दिन की प्रक्रिया नहीं है निरंतर वर्षों तक हमें यह कार्य करना पड़ेगा, तब जाकर समाज शिक्षित और स्वावलंबी बन पाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर सेवा भारती अपनी सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से एक लाख पच्चीस हजार के लगभग सेवा कार्य कर रही है जिसमें 600 छात्रावास हैं जिसके माध्यम से हम बालक और बालिकाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़कर उनको शिक्षित और स्वावलंबी बना रहे हैं।
इस अवसर पर मध्य भारत प्रांत के संगठन मंत्री सुरेंद्र सोलंकी, जिला एवं नगर के प्रमुख कार्यकर्ता एवं काफी संख्या में प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे, आभार जिला सचिव महिम भारद्वाज द्वारा किया गया। इसके पूर्व उन्होंने प्रमुख कार्यकर्ताओं की एक बैठक को भी संबोधित किया जिसमें उन्होंने एक सेवा कार्यकर्ता में क्या आदर्श गुण होने चाहिए, उस पर भी मार्गदर्शन दिया और हम सेवा के कार्य को किस तरह से बढ़ा सकते हैं उस पर भी प्रकाश डाला क्योंकि यह आज के समय की आवश्यकता है।

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