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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Tuesday, October 27, 2020

सत्ता लालचियों के आगे कलफता लोकतंत्र

 


वीरेन्द्र भुल्ले विलेज टाईम्स समाचार सेवा

देश प्रदेश में जिस तरह से सियासी दल सतत सत्ता में बने रहने स्वयं के वेतन भत्ते सहित अपने पहलकारों के वेतन भत्तों को बढ़ा सेवा कल्याण के रथ पर सवार सम्राट बनने की ओर अग्रसर है भले ही किसी भी लोकतंत्र में जनाकांक्षाओं के साथ वह भद्दा मजाक हो और मौजूद सहित भविष्य की पीढिय़ों के साथ अन्याय हो, कारण साफ है कि  ना तो कोई स्थायी अवसर वर्तमान में मानव कल्याण का प्रमाणिक रूप से मौजूद है ना ही चरणबद्ध विकास का कोई अक्स  आका या लक्ष्य और ना ही ऐसी कोई स्थाई नीति सच कहें या चर्चाओं की मानें तो व्यवस्था के नाम पर चहुंओर अराजकता, हठधर्मिता और कर्तव्यविमुखता का साम्राज्य फैला पड़ा है जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सड़क, जल, जंगल, नीर, जमीन और दूध की कोई पुख्ता नीति है ना ही रोजगार नीति जिसमें स्थाई औद्योगिक विकास को विगत 30 वर्षों से हांफ्ता नजर आ रहा है। सड़कों पर बढ़ती वाहनो की अराजकता, सिकुड़ती सड़कों पर फर्राटे भरती बेलगाम जवानी का हाल यह है कि वर्तमान जनाकांक्षा देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में वाहन सड़कों पर भारी होंगें या सड़क वाहनों पर भारी देखने वाली बात होगी। देश की दौलत को तेल, पेट्रोल में फूंकने वाली पीढ़ी आखिर कहां जाकर रूकेगी यह सवाल यक्ष बना हुआ है शुगर से लेकर ब्लड प्रेशर, पथरी, हृदयघात के रोगों की बढ़ती भीड़ का आंकड़ा आने वाले भविष्य में क्या रहेगा, कहना मुश्किल है मगर सतत सत्ता के बढ़ते नशे के बीच जनाकांक्षाओं का सैलाब कहां थमेगा कोई नहीं जानता मगर इतना तय है कि अगर ऐसा ही कुछ सेवा कल्याण और सर्व कल्याण तथा लोकतंत्र के नाम पर चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब महान लोकतांत्रिक परंपरा में कई ऐसे सवाल यक्ष होंगें जिनका जबाब ना तो सतत सत्ता मद में चूर लोगों के पास होगा और ना ही भीड़ के झुण्ड में तालियां ठोंकने वालों के पास जो इन सियासी लोगों को अपने समृद्ध खुशहाल स्वस्थ सुरक्षित जीवन और वर्तमान भविष्य का सारथी मानते है। 

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