वीरेन्द्र भुल्ले विलेज टाईम्स समाचार सेवा
मध्यप्रदेश, बिहार में हो रहे चुनावों में सर्वाधिक सुर्खियो में रहने वाले बिहार के आम चुनाव और मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उप चुनाव है सियासी समर्थन अपने पक्ष में करने सियासी लोग जहां चौपर लग्जरी वाहनों और जनसमुदाय से पटे मैदानों में सभाऐं जनसंपर्क, वर्चुअल रैली के माध्यम से आरोप-प्रत्यारोप के सहारे जीत-हार के दांवपेंच लगाने में जुटे है ऐसे में सियासी पंडितों का सांसत में होना स्वाभाविक है अब ऐसे में ऐसी सियासत किसका सहारा बनेगी जो मूल सवालों से इतर बड़े ही बेशर्म पूर्ण लहजे में सर्व कल्याण की बात और अपने पुरूषार्थ की प्रमाणिकता सिद्ध करने में जुटे है ऐेसे में आम जनता किसका सूपड़ा साफ करेगी और किसको सरताज बनाएगी यह देखने वाली बात होगी, अगर सियासी तौर पर मप्र के उप चुनावों में सबसे चर्चित शिवपुरी जिले के दो विधानसभा क्षेत्र करैरा-पोहरी की बात करें तो प्रमुख सियासी दलों के साथ इन सीटों पर निर्दलीय भी पूरे दमखम से अपना भाग्य आजमाने में जुटे है मगर जिस तरह से अधिक समय तक सत्ता सुख भोगने वाले दोनों बड़े सियासी दल इन दो विधानसभा सीटों को प्रतिष्ठा का विषय बना भावुक अपील पश्चात साम-दाम-दण्ड-भेद के माध्यम से जनमत अपने पक्ष में करने जुटे है जो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है मगर जिस तरह की आशंका साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति को लेकर भितरघात का मुंह ताकने पर सियासत मजबूर है ऐसे में अगर मामला बराबर पर छूटे तो किसी को अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए। जिसकी संभावनाऐं चर्चाओं में फिलहाल प्रबल है मगर जीत के प्रति आश्वस्त उन प्रत्याशियों का क्या जो जी जान से जीत के सियासी दांव लगाने में जुटे है बहरहाल चर्चाओं की मानें तो अगर जनमत जागा तो इस उप चुनाव में अच्छे-अच्छों का सूपड़ा साफ होना तय है और जोड़-तोड़ अदृश्य गठजोड़ की सियासत सफल रही तो मामला बराबर का रहना तय है जिसमें दल निर्दलीय किसी की भी लाटरी लग सकती है।
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