आखिर क्यों भूखा प्यासा भटकने पर बेबस मजबूर है बेजुबान गौवंश
व्ही.एस.भुल्ले
गांव-गांव चारागाह, तालाब, झरने, कुऐं, पोखर और गांव गली भाईचारा पूर्ण संस्कार आखिर अब कहां है, 70 वर्ष तक वोट लेने देने का खेल और समझने समझाने के समारोहों के बीच आखिर गांव-गली की समृद्धि खुशहाली काफूर होने के पीछे के कारण क्या है, क्यों हमें आर्थिक स्वस्थ जीवन से धन-धान्य रखने वाले गौवंश अपने ही हक के भू-भाग पर बेहाल क्यों, आज हर चौखट पर सेवा कल्याण की पराकाष्ठा और विकास की गंगा गान के बीच जीवन बेहाल क्यों, काश इस सच को वोट लेने वाले ना सही देने वाले और घटिया आरोप प्रत्यारोप और भ्रमपूर्ण भाषणाों से लोगों को भरमाने वालों के बीच इस सच को समझ हम इन यक्ष सवालों के उत्तर लोगों से ले पाए तो निश्चित ही इस उप चुनाव की सार्थकता होगी और मौजूद जीवन के भविष्य की सार्थकता सिद्ध होगी। शायद आज यह सवाल भले ही सियासी संग्राम में यक्ष ना हो मगर हर समझदार नागरिक के लिए यह अवश्य यक्ष होना चाहिए तभी हम एक अच्छे और सच्चे लोकतंत्र के साथ समृद्ध स्वराज की कल्पना कर सकते है।
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