शिवपुरी- ग्राम मुडेनी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सप्तदिवसीय सत्र में आज छठवें दिन की कथा में श्री वासुदेव नंदिनी भार्गव जी ने भगवान की रासोत्सव लीला का व्याख्यान श्रवण कराते हुए बताया कि रास भगवान की अत्यंत अंतरंग लीला जिसे कहने एवं सुनने के लिए गोपियों जैसी ही विशुद्धता की आवश्यकता चाहिए। तब ही भगवान की इस लीला का निरूपण किया जा सकता है, रास शब्द रस से बना है और भगवान रस का विग्रह है अत: रास तभी संभव होता है जब रस स्वयं रस में डूब जाए अर्थात् रसो वे स: की स्थिति ही रास कहलाती है। तदन्तर उद्धव प्रसंग का श्रवण कराते हुए प्रेम की श्रेष्ठता को स्पष्ट किया साधारणत: हमें लगता है की गोपियों को समझाने के लिए उद्धव को भेजा जबकि वास्तविकता तो ये है उद्धव को प्रेम सिखाने के लिए भगवान ने उन्हें ब्रज गोपिकाओं के पास भेजा क्योंकि विद्यार्थी शिक्षा के लिए गुरु के पास जाता है। भागवत में भी उद्धव गोपियों के पास गए है न की गोपी। साथ ही श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाहोत्सव में सभी भक्त भावसहित सम्मिलित हुए।
शिवपुरी- ग्राम मुडेनी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सप्तदिवसीय सत्र में आज छठवें दिन की कथा में श्री वासुदेव नंदिनी भार्गव जी ने भगवान की रासोत्सव लीला का व्याख्यान श्रवण कराते हुए बताया कि रास भगवान की अत्यंत अंतरंग लीला जिसे कहने एवं सुनने के लिए गोपियों जैसी ही विशुद्धता की आवश्यकता चाहिए। तब ही भगवान की इस लीला का निरूपण किया जा सकता है, रास शब्द रस से बना है और भगवान रस का विग्रह है अत: रास तभी संभव होता है जब रस स्वयं रस में डूब जाए अर्थात् रसो वे स: की स्थिति ही रास कहलाती है। तदन्तर उद्धव प्रसंग का श्रवण कराते हुए प्रेम की श्रेष्ठता को स्पष्ट किया साधारणत: हमें लगता है की गोपियों को समझाने के लिए उद्धव को भेजा जबकि वास्तविकता तो ये है उद्धव को प्रेम सिखाने के लिए भगवान ने उन्हें ब्रज गोपिकाओं के पास भेजा क्योंकि विद्यार्थी शिक्षा के लिए गुरु के पास जाता है। भागवत में भी उद्धव गोपियों के पास गए है न की गोपी। साथ ही श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाहोत्सव में सभी भक्त भावसहित सम्मिलित हुए।
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