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Thursday, December 9, 2021

शिष्य योग्य हो और गुरु ब्रम्हनिष्ठ हो, तभी गुरु कृपा से परमात्मा के दर्शन संभव: नंदिनी भार्गव


ग्राम तेंदुआ खरई में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बताया गुरूभक्ति का महत्व

शिवपुरी-यह आवश्यक नहीं कि कथा के दशम स्कंध में ही कृष्ण जन्म हो, क्योंकि कथा के बीच में अनेक बार शुकदेव जी ने पारीक्षित को कृष्ण जन्म की कथा सुनाई और यदि देखा जाये तो कथा की सार्थकता तभी है जव कथा के प्रत्येक अक्षर से जीवन में बार-बार कृष्ण का उदय हो, जीवन में शिष्य योग्य हो और गुरू ब्रह्मनिष्ठ तभी गुरू कृपा से परमात्मा के दर्शन संभव है इसलिए गुरू और शिष्य को हमेशा सदाचारण का पालन करना चाहिए तभी गुरू-शिष्य का आचरण अन्य लोगों को भी यह सीख दे सकेगा। 

उक्त उद्गार व्यक्त किए प्रसिद्ध बालयोगी वासुदेव नंदिनी भार्गव ने जो स्थानीय झांसी-कोटा फोरलेन स्थित तेंदुआ खरई ग्राम के श्रीपंचमुखी हनुमान मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान गुरू-शिष्य के रूप में गुरूभक्ति का महत्व समझाते हुए आर्शीवचन दे रही थी। इस अवसर पर अनेकों ग्रामवासी व कथा यजमान मोजूद रहे जिन्हेांने पुण्यलाभ अर्जित करते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं को भी कथा का धर्मलाभ प्रदान कराया। यहां कथा मद्भागवत कथा के दूसरे दिवस में शुकदेव पारीक्षित मिलन हुआ। कथा व्यास वालयोगी वासुदेव नंदिनी भार्गव द्वारा बड़े ही आध्यात्मिक ढंग से कथा श्रवण कराई, उन्होंने भगवान की समस्त लीलाओं का निरुपण करते हुए कथा के विभिन्न वृतान्तों का श्रवण उपस्थित श्रद्धालुओं को कराया।

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