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Shishukunj

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Tuesday, August 20, 2024

परंपरा अनुसार मना लोक संस्कृति की अमिट पहचान भुजरिया पर्व


शिवपुरी-
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी परंपरा अनुसार लोक संस्कृति की अमिट पहचान का भुजरिया पर्व नगर में मनाया गया। इस दौरान भुजरिया तालाब पर लोगों की भीड़ उमड़ी और यहां मेला लगता हुआ नजर आया। इस अवसर पर शहर के सिद्धेश्वर और कालीमाता मंदिर पर भुजरिया के रूप में महिला-पुरूष बच्चे आदि एकत्रित हुए और एक-दूसरे को भुजरिया देते हुए मिलकर त्यौहार मनाया। जहां छोटों ने बड़े के पैर छूकर आर्शीवाद लिया तो बड़ों ने अपने स्नेह प्रेम दुलार के साथ सभी सुख-समृद्धि के साथ भुजरिया की शुभकामनाऐं दी।

भुजरिया पर्व को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए एड. नितिन शर्मा बताते है कि भुजरिया पर्व प्रकृति परमात्मा का जीव जगत को दिया अमूल्य उपहार है, इसलिए सनातन संस्कृति के प्रत्येक त्यौहार में, पूजा अर्चन की सामग्री में फूल-पत्तियों और टहनियों को शामिल किया गया। ये उपयोग किए जाने के बाद अगर कहीं भी डाल दी जाएं तो सड़-गल कर मिट्टी में मिल जाती हैं और ह्यूमस बना धरती की उर्वरा शक्ति को पुष्ट करती हैं। अर्थात् अपने विकृत रूप में भी जीव-जगत को हानि नहीं पहुंचाती। बुंदेलखंड में विशेष रूप से मनाया जाने वाला भुजरिया पर्व जिसे कजलिया(अन्न की बालियां) भी कहते हैं बेहद उत्साह के साथ तब मनाया जाता है जब प्रकृति का यौवन अपने शीर्ष पर होता है। हरित आवरण से आच्छादित धरती का सौंदर्य मनमोह लेता है। आकाश में उमड़ते मेघ नित नई आकृति बना कौतुक लीला करते हैं। अन्न की बालियां एक दूजे को उपहार स्वरूप देकर जीव-जगत का सत्कार करने मनाया जाने वाला यह त्यौहार आपके जीवन को हरा-भरा रखे ऐसी मंगलकामनाओं के साथ भुजरिया पर्व की शुभकामनाऐं देते हुए भुजरिया प्रदान की गई।

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