शगुन वाटिका में उत्साह और उल्लास के साथ हुई गोवर्धन पूजा, परिक्रमा कर लिया धर्मलाभ, बंटा अन्नकूट प्रसादशिवपुरी- कभी भी किसी को अपने आप पर अपनी शक्तियों पर अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि अभिमानी व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ता और जब अभिमान टूटता है तब की गई गलती का एहसास होता है, ऐसा ही किया था अभिमानी इन्द्र ने जहां वर्षा करने के लिए उनकी पूजा होती थी लेकिन जब अबोध से बालक के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने सभी ग्वाल वालों से कहा कि हमारी गायें जहां चरती है वह स्थान गोवर्धन पर्वत है इसलिए हमें गोवर्धन पूजा करनी चाहिए और जब इन्द्र की पूजा नहीं की गई तो इन्द्र ने रौप रूप धारण कर ग्वाल वालों पर आंधी-तूफान और तेज बारिश की जिस पर सभी की रक्षा के लिए अपनी उंगली पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को उठाकर सभी की रक्षा की, इसलिए गोवर्धन पूजा की जाती है और इन्द्र का अभिमान दूर होकर सभी ने मिलकर गोवर्धन पूजा की। गोवर्धन पूजा का यह महत्व बताया कि राष्ट्रीय कथा वाचक साध्वी रचना प्रणव जी ने जो स्थानीय शगुन वाटिका में सुमत हार्डवेयर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में गोवर्धन पूजा कथा वृतान्त का उपस्थित श्रद्धालुओं को श्रवण करा रही थी।
इस दौरान कथा के मुख्य यजमान श्रीमती शशि-सुमत गोयल, यजमान श्रीमती पलक-विकास गोयल सहित परिजनों श्रीमती शशि-राजेंद्र गुप्ता, श्रीमती अनीता-राकेश गुप्ता छर्च वाले, श्रीमती प्रियंका-अंकित गुप्ता, श्रीमती चंचल-अंकुर जैन, श्रीमती ज्योति-राहुल गुप्ता के साथ मिलकर श्रीमद भागवत पूजन करते हुए श्रीगोवर्धन पर्वत की पूजा की गई और गोवर्धन परिक्रमा करते हुए उत्साह और उल्लास के साथ श्रीगोवर्धन पूजा के भजन गाए गए। इस अवसर पर कथा में विशेष सहयोग प्रदान कर रहे सोनू गुप्ता खतौरा सहित मध्यदेशीय अग्रवाल समाज के पूर्व अध्यक्ष अजीत अग्रवाल, विष्णु गुप्ता पिपरघार वाले, पूर्व अध्यक्ष एवं पार्षद गौरव सिंघल, राजू जैन पंचायती, संतोष गुप्ता, लोकेंद्र शर्मा, मनोज अग्रवाल, भानु बंसल, हरिशरण गुप्ता आदि सहित नगर के गणमान्य नागरिक एवं श्रद्धालुजन मौजूद रहे। जहां कथा समापन पर श्रद्धालुओं ने भी गोवर्धन परिक्रमा की और आयोजक परिजनों के द्वारा गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट प्रसादी का वितरण किया।
साध्वी रचना प्रणवजी ने इस संसार के हरेक मनुष्य को उसके बोध कराते हुए कहा कि किसी भी रूप में हमें अभिमा नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्रता और सहजता से अपने कार्यों को करना चाहिए, यह सरल-सहज स्वभाव अपने संस्कारों के साथ आने वाली पीढ़ी में भी दें ताकि हरेक घर-परिवार में सरलता, सहजता और विनम्रता बनी रहे। शगुन वाटिका में आयेाजित श्रीमद् भागवत कथा विश्राम की ओर है और श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल विवाह के साथ श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा के साथ कथा को विश्राम दिया जाएगा।
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