शिवपुरी-लेखक संघ इकाई शिवपुरी की मासिक गोष्ठी का आयोजन शहर के दुर्गामठ में किया गया। अजय जैन अविराम के संयोजन, बसंत श्रीवास्तव के संचालन और विनय प्रकाश जैन नीरव की अध्यक्षता में आयोजित की गई। डॉ महेंद्र अग्रवाल व राम कृष्ण मौर्य विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर मौजूद रहे। कार्यक्रम आरंभ संचालन कर रहे बसंत श्रीवास्तव जी मा शारदे के आह्वान से किया । राज कुमार चौहान ने व्यंग्यात्मक माहौल परोसते हुए कहा-देख देख के यूं गुर्राता,नेता है या कुत्ता है, गरज पड़े तो पूंछ हिलाता,कुत्ता है या नेता है।
शिवकुमार राय अर्जुन ने संवेदना का तानाबाना बुनते हुए कहा- मैं रोया नहीं बिफरा नहीं,अपने किसी फर्ज़ से मुकरा नहीं,क्यों कि मैं बाप हूँ न! कवियत्री कल्पना सीनोरिया ने वास्तविकता व्यक्त करते हुए सुनाया, दिखाओ आईना न हमको ज़माने वालों, एक चेहरे पे कई चेहरे लगाने वालों । शायर याकूब सविर ने फरमाया-हर इक गम भुलाते को जी चाहता है,गजल गुन गुनाने को जी चाहता है।मशहूर शायर सत्तार शिवपुरी ने पढ़ा-शहर सरीखी हवा आई कैसे गांव,न पहिले सी धूप है,न पहिले सी छांव। अजय जैन अविराम ने शिवपुरी गौरव वीर तात्या को अपने भाव समर्पित करते हुए सुनाया तात्या तुम तने रहे,झुके नहीं बने रहे,शत्रुओं के मुंड काट,विकृति हने रहे। सुनकर पूरा सदन तालियों के साथ गूंज उठा, सदन में उपस्थिति संचालन कर रहे बसंत श्रीवास्तव ने कहा-जाने हम क्यों पाल रहे हां सांपों को अपनी बांहों मे,
एक दिन हमको यही डसेंगे चलते चलते रहो मे। वरिष्ठ कवि भगवान सिंह यादव ने कहा-आ जाओ शीघ्र मेरे पास,दिल तपता है। मंच पर विराजे विनय प्रकाश नीरव ने सुनाया, मछली पानी का देश है, मछली ये नहीं जानती। डॉ महेंद्र अगवाल ने कहा-अब मरना है मर ही जायेंगे,कितने दिन बाहर ठहरेंगे,घर भी जायेंगे।राम किशन मौर्य ने अपनी भावनाएं रखते हुए कहा-जख्म देते नहीं दवा देते हैं,सदा खुश रहो हम दुआ देते हैं। गोष्ठी के अंत मे आभार भी श्री मौर्य के द्वारा ही किया गया।
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