भोपाल में आयोजित हुई दो दिवसीय गोष्ठीशिवपुरी। प्राचीन भारतीय पांडुलिपियों में विज्ञान के सूत्र भरे पड़े हैं।जरूरत है,उन्हें खोजकर उन पर क्रियान्वयन की।ब्रिटेन के संग्रहालय में आज भी चार लाख पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। यहां से अब तक 50 हजार पांडुलिपियां मंगाई भी जा चुकी हैं।इन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण भी कर लिया गया है।इनमें यदि ज्ञान का भंडार नहीं होता तो ब्रिटेन सरकार ऐसा क्यों करती? विज्ञान लेखक और पत्रकार प्रमोद भार्गव ने बात भोपाल के रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में संपन्न हुई दो दिनी गोष्ठी में कही। शोध शिखर विज्ञान पर्व 2025 में अपनी बात रखते हुए श्री भार्गव ने आगे कहा कि भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में करीब तीन करोड़ संस्कृत, प्राकृत, ब्राह्मी और पाली की भाषा व लिपियों में पांडुलिपियां रखी हुई हैं। इनमें खगोल, गणित, ज्योतिष, प्रौद्योगिकी, रसायन, भौतिकी, चिकित्सा, धातु विज्ञान और मानव शास्त्र जैसे विषयों का ज्ञान दर्ज है। ऋग्वेद में विज्ञान के अनेक विषय समाहित होने के आर्यों के इतिहास का भी उल्लेख करता है।
भोपाल में आयोजित हुई दो दिवसीय गोष्ठीशिवपुरी। प्राचीन भारतीय पांडुलिपियों में विज्ञान के सूत्र भरे पड़े हैं।जरूरत है,उन्हें खोजकर उन पर क्रियान्वयन की।ब्रिटेन के संग्रहालय में आज भी चार लाख पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। यहां से अब तक 50 हजार पांडुलिपियां मंगाई भी जा चुकी हैं।इन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण भी कर लिया गया है।इनमें यदि ज्ञान का भंडार नहीं होता तो ब्रिटेन सरकार ऐसा क्यों करती? विज्ञान लेखक और पत्रकार प्रमोद भार्गव ने बात भोपाल के रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में संपन्न हुई दो दिनी गोष्ठी में कही। शोध शिखर विज्ञान पर्व 2025 में अपनी बात रखते हुए श्री भार्गव ने आगे कहा कि भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में करीब तीन करोड़ संस्कृत, प्राकृत, ब्राह्मी और पाली की भाषा व लिपियों में पांडुलिपियां रखी हुई हैं। इनमें खगोल, गणित, ज्योतिष, प्रौद्योगिकी, रसायन, भौतिकी, चिकित्सा, धातु विज्ञान और मानव शास्त्र जैसे विषयों का ज्ञान दर्ज है। ऋग्वेद में विज्ञान के अनेक विषय समाहित होने के आर्यों के इतिहास का भी उल्लेख करता है।
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