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Monday, November 24, 2025

श्रीबागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के श्रीमुख से भव्य श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ









कथा यजमान कपिल मोटर्स एवं साधु-संत सहित वाल्मीकि समाज के लेागों का किया सम्मान, 27 को लगेगा भव्य दिव्य दरबार

शिवपुरी- शहर में पहली बार सनातन हिन्दू एकता यात्रा के प्रतीक प्रसिद्ध श्रीबागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के मुखारबिन्द से भव्य श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ स्थानीय नर्सरी ग्राउण्ड, हवाई पट्टी के पीछे, लुधावली परिसर में प्रारंभ हुई। जहां जातिवाद और छूआछूत को दरकिनार करते हुए राष्ट्रवाद का नारा दिया गया और इस अवसर पर वाल्मीकि समाज के लोगों का सम्मान पताका पहनाकर पं.धीरेन्द्र शास्त्री के द्वारा किया गया। इसके अलावा मंच पर कथा यजमान श्रीमती ऊषा-रामप्रकाश गुप्ता एवं श्रीमती शिल्पी-कपिल गुप्ता(कपिल मोटर्स) परिवार शिवपुरी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्रीमद् भागवत कथा का पूजन किया गया एवं पूज्य पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का आर्शीवाद लिया गया। इस अवसर पर मंच पर साधु-संतों का समागम भी देखने को मिला जहां पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा साधु-संतों में महामण्डलेश्ववर पुरूषोत्तमदास जी महाराज, श्रीवृन्दावन धाम से आए महामण्डलेश्वर नीलमणिदास जी महाराज सहित अनेकों साधु-संत मौजूद रहे जिनका पताका पहनाकर महाराजश्री ने सम्मान किया। इस दौरान हजारों की संख्या में धर्मप्रेमीजन सनातन का पताका फहराने के लिए मौजूद रहे जिन्होंने पं.धीरेन्द्र शास्त्री के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया।

27 को लगेगा भव्य दिव्य दरबार
शहर में पहली बार श्रीाबगेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं.धीरेन्द्र शास्त्री के द्वारा जिला मुख्यालय पर श्रीमद् भागवत कथा के भव्य आयोजन के साथ ही मंच पर भव्य दिव्य दरबार की घोषणा की गई। जिसमें पू.महाराजश्री ने बताया कि शिवपुरी में धर्म की ध्वजा पताका फहराने को लेकर शिव की नगरी शिवपुरी अनेकों क्षेत्रों में विख्यात है जहां श्रीखेड़ापति हनुमान सरकार विराजमान है, तो वहीं श्रीबांकड़े हनुमान, श्रीचिंताहरण हनुमानजी, भदैयाकुण्ड, बाणगंगा जैसे प्रमुख धार्मिक और पर्यटक स्थल है, जहां भगवान शिव की नगरी शिवपुरी में 27 नवम्बर को ही दिव्य दरबार कथा स्थल नर्सरी ग्राउण्ड शिवपुरी पर लगाया जाएगा जिसमें अपने देशी अंदाज में धीरेन्द्र शास्त्री के द्वारा शिवपुरी के समस्त धर्मप्रेमीजनों को पागलों की नगरी शिवपुरी कहकर पुकारा और जोर-शोर से जय-जयश्रीराम सीताराम, साधुजी जैसे जयकारों से पूरे प्रांगण को सराबोर कर दिया।

कथा के प्रथम दिवस पर प.पू. पं.धीरेन्द्र शास्त्री ने बताया श्रीमद् भगवत कथा का महत्व
जिला मुख्यालय पर स्थित आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस की कथा के रूप में श्रीबागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा श्रीमद भागवत कथा के प्रसंग पर प्रकाश डाला गया जिसमें उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के चारों शब्दों की व्याख्या करते हुए बताया कि सात दिनों की श्रीमद् भागवत कथा में भा से हमें भक्ति सीखने को मिलती है, ग से मिले ज्ञान, व से वैराग्य व त से त्याग  ही श्रीमद् भागवत कथा है, भक्ति कैसे होनी चाहिए, जिसमें केवल भगवान का स्मरण हो, श्वांस अंदर बाहर जाए तो यही भक्ति है, सूर्य और सूर्य की रोशनी में अंतर नहीं, जैसे मिठाई से मिठास कम ना है ऐसे ही भक्त और भक्ति में अंतर न हो, एक हो जाना ही भक्ति है। इस दौरान पू.धीरेन्द्र शास्त्री के द्वारा जय जय राधारमण हरिओम...बोल से शुरुआत की और शिवपुरी की परिकल्पना को अपने शब्दों में बखान करते हुए पू.शास्त्री जी ने कहा कि शिव का नाम छिपा है शिवपुरी में, यहां तीर्थ और प्राचीन धरोहर, पर्यटन स्थल है, खेड़ापति हनुमान जी, बाणगंगा, भदैयाकुंड, चिंतारहरण, राम मंदिर, बांकडे मंदिर, ऐसे स्थान पर अब कृष्ण कथा बहेगी, कपिल मोटर्स (अमोला परिवार वाले) के द्वारा अपने श्रद्धा का संकल्प यहां श्रीमद् भागवत के माध्यम से पूरा किया गया है, 

श्रीमद् भागवत कथा के लिए निकली कलश यात्रा क्लेश मिटाने के लिए थी, हम जातिवाद, उंच नीच और छुआछूत को दूर करते हुए राष्ट्रवाद का भाव जगाना चाह रहे और हिन्दू सनातन को लेकर हिन्दू राष्ट्र के लिए एक ओर जहां पिछली वर्ष बागेश्वर से ओरछा और इस बार दिल्ली से वृंदावन तक पैदल यात्रा निकाली। इसके साथ ही महाराज श्री ने कहा कि हम यहां बैठे धर्मप्रेमीजनों को आस्तिक नास्तिक नहीं बल्कि वास्तविक बनाने आए है, यही उद्देश्य है, भगवान कहने भर का नहीं बल्कि महसूस करने का नाम है, उन्होंने कहा कि सोने की चेन पहनोगे तो चोरों की नजर रहेगी और तुलसी की माला पहनोगे तो चितचोर की नजर रहेगी, इसलिए चितचोर में मन लगाए, जगह और स्थान का महत्व बताते हुए महाराजश्री ने कहा कि कथा में बैठना बड़ी बात नहीं कथा दिल में बैठना चाहिए, इसके लिए कथा सुने सब भूल जाए यह कथा सुनने का पहला नियम है, इसलिए जब भी कथा में बैठो सावधान होकर सुने, कथा जब तक विश्राम न हो तब तक पीठ नहीं दिखाना है, भूमि पर बैठे, नियम फलाहार, स्वस्ति तिलक लगाना और वही आहार पाए जो ठाकुरजी को भोग लगे,

इसके साथ ही कथा में जब भी बैठे तो कभी भी मन में ईष्र्या का भाव नहीं आना चाहिए। कथा में पूज्य महाराजश्री ने सीताराम नाम की महिमा का बखान किया, सीताराम नाममात्र से भगवान का स्मरण होता है, भक्ति वालो के लिए कथा परमात्मा के पास पहुंचाती है, भगवान चतुराई से नहीं सरलता से मिलते है, इसलिए भगवान के हो जाओ, साथ ही भजन...मेरे दाता के दरवार में सब लोगो का खाता जैसा जिसने कर्म किया है वैसा ही फल पाता...भजन श्रवण कराते हुए प्रथम दिवस की कथा को विश्राम दिया।

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