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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Friday, November 2, 2018

विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समाज की अनदेखी कहीं भारी ना पड़ जाए राजनैतिक दलों को 

यशोधरा राजे के सामने कांग्रेस से अब्दुल रफीक अप्पल व वासित अली भी बन सकते हैं चुनौती


शिवपुरी-विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत कांग्रेस और भाजपा को इस बार कहीं मुस्लिम समाज की अनदेखी भारी ना पड़ जाए यह अटकलें भी लगाई जा रही है। विगत लंबे समय से मुस्लिम समाज के प्रतिनिधित्व को हर बार अनदेखा किया गया जबकि मुस्लिम समाज में ही कई वरिष्ठ नेता ऐसे है जो प्रमुख दलों के बीच अपनी खासी पहचान बनाए हुए है इनमें सर्वाधिक रूप से कांग्रेस पार्टी के दिग्गज कांग्रेसियों में पूर्व मंत्री एवं विधायक केपी सिंह समर्थित सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष वासित अली, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने अग्रज नेता मानने वाले अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष अब्दुल रफीक खान अप्पल, खलील खान, पूर्व पार्षद सफदरबेग मिर्जा, मण्डी नेता इब्राहिम खान आदि ऐसे नाम है जो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुस्लिम समाज से एक सशक्त दावेदार हो सकते है बाबजूद इसके इन सभी नेताओं की हरेक विधानसभा चुनाव में अनदेखी की जाती है जिससे ना केवल इन नेताओं में बल्कि सर्व मुस्लिम समाज में भी रोष उत्पन्न रहता है। मुस्लिम समाज की चर्चाओं पर गौर करें तो बात सामने आती है कि हजारों की संख्या में मौजूद मुस्लिम समाज यदि एकजुट होकर विधानसभा चुनाव में अपने मुस्लिम प्रत्याशियों को सपोर्ट करेगा तो वह केवल मुस्लिम समाज ही नहीं बल्कि वैश्य समाज, जैन समाज, ब्राह्मण,कुशवाह,यादव, गुर्जर, रावत, जाटव, आदिवाासी आदि समाजों से भी काफी संख्या में वोट हासिल कर सकता है। ऐसे में अपनी इस मजबूत पकड़ को देखते हुए इस बार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समाज भी अपना क्षेत्रीय प्रतिनिध्शित्व करने की मांग पुरजोर तरीके से कर रहा है अब देखना होगा कि इस ओर राजनैतिक दल मुस्लिम समाज को कितनी तवज्जो देता है या फिर एक बार फिर उन्हें ठगकर मोहरे के रूप में प्रयोग किया जाएगा।


सर्वहारा वर्ग में खासी पहचान है कांग्रेस नेता अप्पल की


विधानसभा चुनाव में यदि मुस्लिम समाज की ओर से प्रत्याशी की बात की जाए तो उसमें सर्वहारा वर्ग में खासी पहचान के रूप में अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष अब्दुल रफीक खान अप्पल का नाम उभरकर आता है। प्रतिवर्ष देशभक्ति के जज्बे को गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदेश और देश की जानी-मानी हस्तियों को शिवपुरी में लाकर सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल भी पेश की जाती है जिसमें सभी समाज और सर्वहारा वर्ग के लोग इस आयोजन में शिरकत कर आयोजन को सराहते है इसके अलावा सैकड़ों ट्रक ऑपरेटरों के हितों के संरक्षणदाता के रूप में भी अप्पल की हजारों परिवारों के बीच अपनी पहचान है साथ ही शोषित, पीडि़त मानवता के प्रति भी उनका दयाभाव भी किसी से छुपा नहीं है। राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक और अन्य आयोजनों मे अप्पल की बढ़ी भागीदारी और कांग्रेस में मुस्लिम नेता के रूप में अग्रणीय रूप से अप्पल की दावेदारी नजर आती है। मुस्लिम समाज में हजारों लोग उन्हें अपना नेता मानते है और भविष्य में राजनैतिक जनप्रतिनिधित्वप के रूप में देखना भी चाहते है। अप्पल भाई अपने आप को पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को समर्पित मानते है और उनके आदेशानुसार ही कार्य करने की मंशा जाहिर करते है। ऐसे में शिवपुरी विधानसभा से घोषित भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया के समक्ष अप्पल की दावेदारी को नकारा नहीं जा सकता और वह परिणाम भी चमत्कारिक देने में क्षमता रखते है इसकी भी संभावनाऐं है।


वासित अली भी बन सकते है चुनौती


समाजसेवा और जिला चिकित्सालय में आने वाले मरीजो की बदहाल हालातों में तीमारदारी करने वाले कांग्रेस नेता वासित अली भी मुस्लिम समाज से एक अच्छे और कर्मठ कार्यकर्ता माने जाते है। पूर्व मंत्री एवं पिछोर विधायक केपी सिंह से खासी नजदीकियों के चलते वह राजनैतिक रूप से भी सर्व समाज में अपना स्थान रखते है और कांग्रेसजनों व मुस्लिम समाज मे भी उनकी खासी पहचान है जिसके चलते मुस्लिम समाज को इनका प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, यह मांग कई बार उनके समर्थकों ने भी उठाई है हालांकि वह स्वयंको पार्टी के सिद्धांतों और नीति के अनुसार चलाने की बात कहकर बच जाते है लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा की घोषित प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया के समक्ष वह चुनौती बन सकते है इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है हालांकि वह चुनाव लडऩे के लिए स्वयं तो स्वीकार नहीं करते लेकिन पार्टी के आदेश को झुठला भी नहीं पाऐंगें। देखना होगा कि शिवपुरी से कांग्रेस प्रत्याशियों में राकेश गुप्ता-सिद्धार्थ लढ़ा के बीच मुस्लिम समाज को भी वर्चस्व की जंग में प्रतिनिधित्व मिलेगा अथवा यूं ही अनदेखी कर इन्हें भी वोटों की खातिर इस्तेमाल किया जाएगा। 


1 comment:

Unknown said...

तो फिर तो बीजेपी जो प्रचार करने की आवश्यकता ही नही है