सियासी घटनाक्रम थमने के बाद मिलेगी बड़ी जबाबदारी, ङ्क्षसधिया समर्थकों की बढ़ सकती है बेचैनी
शिवपुरी। जब से पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए है तब से बेबाक बयानबाजी दिग्गी गुट के कांग्रेसजनों द्वारा खुलकर की जाने लगी है। इससे पता चलता है कि आगामी आने वाले समय में दिग्गी गुट के कंाग्रेसियों को संगठन में तरजीह मिल सकती है वहीं दूसरी ओर सियासी घटनाक्रम घटने के बाद जब प्रदेश में सरकार की स्थिति साफ होगी तब तक सिंधिया समर्थकों की बेचैनी भी बढ़ी हुई है।क्योंकि जिन कांग्रेसियों ने पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अपनी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया है उन्होंने अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ली ऐसे में कई कांगे्रसियों की वापसी भी होने की संभावना है। हालांकि बाबजूद इसके सिंधिया गुट के अधिकांश सभी नेताओं ने कमलनाथ सरकार के विरूत्र बिगुल ही फूंका है और वह अपने नेता सिंधिया के साथ ही खड़े हुए नजर आ रहे है।
संगठन में अब दिग्गी गुट को मिल सकती है तरजीह
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामे जाने के बाद अब कांग्रेस नई रणनीति में जुट गई है। शिवपुरी में सिंधिया समर्थक कांग्रेस जिलाध्यक्ष बैजनाथ यादव, कार्यकारी जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता सहित कई पदाधिकारियों द्वारा पार्टी छोडऩे पर अब जिला कांग्रेस की कमान दिग्गी समर्थक नेताओं को देने की तैयारी है। यहां पर दिग्गी गुट से जुड़े नेता जैसे पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा, विजय सिंह चौहान सहित कई ऐसे नेता हैं जो अब एकाएक सक्रिय हो गए हैं। इस इलाके में अब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव होने के कारण उनकी पसंद व गुट के नेता को ही पार्टी की कमान या टिकट मिलता था लेकिन अब एकाएक राजनीतिक परिस्थितियां बदलने के बाद दिग्गी गुट से जुड़े नेताओं के लिए आगे के रास्ते खुल गए हैं। ऐसे में आने वाले समय में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
खली हुई कांग्रेस जिलाध्यक्ष की कुर्सी, अब दावेदार कौन?
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के साथ ही वर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष बैजनाथ सिंह यादव द्वारा भी पार्टी पद से इस्तीफा देकर अपना त्यागपत्र दे दिया गया है ऐसे में अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद की कुर्सी खाली है और खाली कुर्सी को कौन भरेगा? फिलहाल इस पर कोई बोलने वाला नहीं लेकिन सुगबुगाहट है कि कई दिग्गी गुट के कांग्रेसी अब अपनी जबाबदेही लेकर वह इस खानापूर्ति को पूरा करेंगें। वैसे भी सिंधिया समर्थक अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। अब ऐसे में कयास शुरू हो गए हैं कि शिवपुरी कांग्रेस जिलाध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी। वैसे इस कुर्सी की दौड़ में कई नाम हैं लेकिन अब ऐसे महल विरोधी नेता को तलाशा जा रहा है जो दमखम से इस कुर्सी पर काम कर सकें और सिंधिया विरोधी हो। ऐसे में कई नाम चर्चा में है। पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला, श्रीप्रकाश शर्मा, लक्ष्मीनारायण धाकड़, बासित अली सहित कई नाम इस दौड़ में बताए जा रहे हैं।
पूर्व मंत्री केपी सिंह की बढ़ सकती है सक्रियता
मप्र में एकाएक बदल राजनीतिक माहौल के बीच अब इस इलाके में सिंधिया समर्थकों की बजाए अब दिग्गी समर्थक नेता एकाएक चमक सकते हैं। आने वाले समय में दिग्गी समर्थक नेताओं में गिने जाने वाले पिछोर विधायक और पूर्व मंत्री केपी सिंह की भूमिका इस इलाके में एकाएक बढ़ेगी। बताया जा रहा है कि शिवपुरी, गुना, ग्वालियर में केपी सिंह का आने वाले समय में अहम रोल होगा। केपी सिंह को दिग्गी गुट का माना जाता है और एक साल पहले मप्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा था लेकिन सिंधिया के बीटो के चलते वह मंत्री नहीं बन पाए थे।
शिवपुरी। जब से पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए है तब से बेबाक बयानबाजी दिग्गी गुट के कांग्रेसजनों द्वारा खुलकर की जाने लगी है। इससे पता चलता है कि आगामी आने वाले समय में दिग्गी गुट के कंाग्रेसियों को संगठन में तरजीह मिल सकती है वहीं दूसरी ओर सियासी घटनाक्रम घटने के बाद जब प्रदेश में सरकार की स्थिति साफ होगी तब तक सिंधिया समर्थकों की बेचैनी भी बढ़ी हुई है।क्योंकि जिन कांग्रेसियों ने पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अपनी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया है उन्होंने अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ली ऐसे में कई कांगे्रसियों की वापसी भी होने की संभावना है। हालांकि बाबजूद इसके सिंधिया गुट के अधिकांश सभी नेताओं ने कमलनाथ सरकार के विरूत्र बिगुल ही फूंका है और वह अपने नेता सिंधिया के साथ ही खड़े हुए नजर आ रहे है।
संगठन में अब दिग्गी गुट को मिल सकती है तरजीह
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामे जाने के बाद अब कांग्रेस नई रणनीति में जुट गई है। शिवपुरी में सिंधिया समर्थक कांग्रेस जिलाध्यक्ष बैजनाथ यादव, कार्यकारी जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता सहित कई पदाधिकारियों द्वारा पार्टी छोडऩे पर अब जिला कांग्रेस की कमान दिग्गी समर्थक नेताओं को देने की तैयारी है। यहां पर दिग्गी गुट से जुड़े नेता जैसे पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा, विजय सिंह चौहान सहित कई ऐसे नेता हैं जो अब एकाएक सक्रिय हो गए हैं। इस इलाके में अब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव होने के कारण उनकी पसंद व गुट के नेता को ही पार्टी की कमान या टिकट मिलता था लेकिन अब एकाएक राजनीतिक परिस्थितियां बदलने के बाद दिग्गी गुट से जुड़े नेताओं के लिए आगे के रास्ते खुल गए हैं। ऐसे में आने वाले समय में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
खली हुई कांग्रेस जिलाध्यक्ष की कुर्सी, अब दावेदार कौन?
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के साथ ही वर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष बैजनाथ सिंह यादव द्वारा भी पार्टी पद से इस्तीफा देकर अपना त्यागपत्र दे दिया गया है ऐसे में अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद की कुर्सी खाली है और खाली कुर्सी को कौन भरेगा? फिलहाल इस पर कोई बोलने वाला नहीं लेकिन सुगबुगाहट है कि कई दिग्गी गुट के कांग्रेसी अब अपनी जबाबदेही लेकर वह इस खानापूर्ति को पूरा करेंगें। वैसे भी सिंधिया समर्थक अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। अब ऐसे में कयास शुरू हो गए हैं कि शिवपुरी कांग्रेस जिलाध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी। वैसे इस कुर्सी की दौड़ में कई नाम हैं लेकिन अब ऐसे महल विरोधी नेता को तलाशा जा रहा है जो दमखम से इस कुर्सी पर काम कर सकें और सिंधिया विरोधी हो। ऐसे में कई नाम चर्चा में है। पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला, श्रीप्रकाश शर्मा, लक्ष्मीनारायण धाकड़, बासित अली सहित कई नाम इस दौड़ में बताए जा रहे हैं।
पूर्व मंत्री केपी सिंह की बढ़ सकती है सक्रियता
मप्र में एकाएक बदल राजनीतिक माहौल के बीच अब इस इलाके में सिंधिया समर्थकों की बजाए अब दिग्गी समर्थक नेता एकाएक चमक सकते हैं। आने वाले समय में दिग्गी समर्थक नेताओं में गिने जाने वाले पिछोर विधायक और पूर्व मंत्री केपी सिंह की भूमिका इस इलाके में एकाएक बढ़ेगी। बताया जा रहा है कि शिवपुरी, गुना, ग्वालियर में केपी सिंह का आने वाले समय में अहम रोल होगा। केपी सिंह को दिग्गी गुट का माना जाता है और एक साल पहले मप्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा था लेकिन सिंधिया के बीटो के चलते वह मंत्री नहीं बन पाए थे।
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