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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Sunday, November 1, 2020

बड़ी जालिम हमारी तिश्नगी है : अवधेश सक्सेना


शरद काव्य गोष्ठी कर मनाई शरद पूर्णिमा

शिवपुरी-शरद पूर्णिमा के अवसर पर शहर के जाने माने कवि रामकृष्ण मौर्य मयंक ी के आमंत्रण पर उनके निवास पर आयोजित शरद काव्य गोष्ठी में शिवपुरी के कवियों और शायरों ने शानदार कविताओं और गजलों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । शरद काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि इंजी.अवधेश सक्सेना ने अपनी गलों और छंदबद्ध कविताओं को सुनाकर महफिल में चार चाँद लगा दिए । उनकी गजल का एक शेर देखें कि समंदर हैं कई नदियाँ निगलते, बड़ी जालिम हमारी तिश्नगी है। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जनाब इशरत ग्वालियरी ने अपनी बेहतरीन गजलें सुनाईं उनका मतला देखें कि जुवां पर मुनहसर है कि कहाँ क्या काम कर जाए, कहीं दिल में उतर जाए कहीं दिल से उतर जाए।

 गोष्ठी में डॉ लखन लाल खरे, डॉ महेंद्र अग्रवाल, सुकून शिवपुरी, डॉ रमन बिहारी लाल सक्सेना, अरुण अपेक्षित, विनय प्रकाश जैन नीरव, आफताब आलम, याकूब साबिर, सत्तार शिवपुरी, जगदीश उचारिया, परमाल सिंह परम, देव मौर्य, देवेंद्र शर्मा, दिनेश वशिष्ठ, इंजी.सी.पी.वर्मा, विजय भार्गव, गिरीश मिश्रा, बृजेश अग्निहोत्री, राजकुमार चौहान भारतीय, इरशाद जालोनवी, शरद गोस्वामी, डॉ. संजय शाक्य, प्रकाश सेठ, राधेश्याम सोनी, शिखरचंद्र जैन, साजिद अमन एवं आयोजक मौर्य परिवार के बच्चों कृतिका, दिशांत, शोभित, प्रयांश, मोनिका ने भी रचना पाठ करके शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया। गोष्ठी का शानदार संचालन जाने माने मंच संचालक आदित्य शिवपुरी ने अपने बेहतरीन और खूबसूरत अंदाज में करते हुए अपने शेर भी सुनाए और वाह वाही बटोरी। उनका एक शेर देखें रूह तेरा तवाग करती है, जिस्म मेरा मगर सगर में है।

 आयोजक रामकृष्ण मौर्य की पंक्तिया देखें सितम पे सितम वो किये जा रहे हैं, मुझे जख्म गहरे दिए जा रहे हैं। सुकून शिवपुरी का शेर देखें दे लाख मुनाफा भले व्यापार तुझे, नाखुश हैं अगर माँ बाप तेरे, जीने का नहीं अधिकार तुझे। याकूब साबिर फरमाते हैं, ऐसे नाजुक मकाम आते हैं, खोटे सिक्के भी काम आते हैं। इस अवसर पर रामकृष्ण मौर्य परिवार द्वारा जगदीश उचारिया, परमाल परम और विनय प्रकाश जैन नीरव का शॉल ओढ़ाकर सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में इंजी.सी.पी.वर्मा, इंजी.अवधेश सक्सेना, अरुण अपेक्षित, विजय भार्गव और ब्रजेश अग्निहोत्री ने पुराने फिल्मी गानों की संगीतमय प्रस्तुति देकर शरद पूर्णिमा के आनंद को दुगुना कर दिया। आयोजक रामकृष्ण मौर्य मयंक के द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया।

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