झाड़ फूंक कराने में चली गई लक्ष्मी की जानशिवपुरी-झाडफ़ूंक कराने के चक्कर में उपचार देर से मिल पाने के कारण बीमार बालिका लक्ष्मी की जान चली गई। जिसके बाद डीपीओ की समझाईश के बाद लक्ष्मी के माता-पिता उनके दूसरे बच्चे कान्हा को एनआरसी में भर्ती कराने के लिए राजी हुए। जहां उन्हें जिला प्रशासन द्वारा पांच हजार रूपए की सहायता राशि भी प्रदान की गई।
मामला कोलारस के वार्ड क्रमांक 3 का हैं जहां महुरानीपुर में मजदूरी कार्य कर रहे चन्द्रभान आदिवासी जो कि 10-12 दिन पूर्व ही कोलारस वापस लौटे थे और एक कच्ची टपरिया बनाकर निवास कर रहे थे। करीब पांच दिन पूर्व उनकी बालिका लक्ष्मी और बालक कान्हा की तबियत खराब हुई जिन्हें लेकर वह तांत्रिक और ओझाओं के चक्कर में झाडफ़ंूक कराते रहे। लेकिन हालत में सुधार न हो पाने के बाद बालिका लक्ष्मी को कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में भर्र्ती कराया गया। जिसे बाद में जिला चिकित्सालय रैफर कर दिया गया।
वहां बालिका की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे ग्वालियर रैफर कर दिया गया। जहां कल देर रात लक्ष्मी की मौत हो गई। उसके बाद डीपीओ देवेन्द्र सुन्दरियाल परियोजना अधिकारी एवं कार्यकर्ता के साथ कोलारस वार्ड क्रमांक 3 पहुंचे एवं चन्द्रभान आदिवासी को समझा बुझाकर उनके दूसरे बच्चे कान्हा को एनआरसी में भर्ती कराने हेतु राजी किया एवं परिवार को जिला प्रशासन द्वारा पांच हजार रूपए की आर्थिक सहायता राशि भी प्रदान की गई। जिले में पिछले साल लगभग 2600 बच्चे अति कुपोषित थे जिनको सतत निगरानी, पोषण परदे, समाज की भागीदारी से 2000 बच्चो को सामान्य श्रेणी में लाया गया।
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