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Saturday, November 20, 2021

इस संसार में श्रीमद् भागवत कथा जो बांट रहे हैं वे पृथ्वी पर सबसे बड़े दानी है : वासुदेव बाल नंदिनी भार्गव

111 विशाल कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ

शिवपुरी-शहर के पोहरी रोड़ स्थित श्री ठाकुर बाबा मंदिर हाथी खाने पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शु



भारंभ शनिवार को हुआ जिसकी भव्य कलश यात्रा दर्शन करने योग्य थी राजेश्वरी माता मंदिर से प्रारंभ हुई 111 कलश के साथ कन्या एवं महिलाएं बड़े धार्मिक उत्साह से नंगे पैर चल रही थी। इस कथा की मुख्य विशेषता यह है कि यहां भी मुख्य यजमान मनी महाराज मनी ही रहे, जो पूर्व में भी दो बार श्रीमद् भागवत कथा करवा चुके हैं और यह कथा इनकी तृतीय कथा होगी। शहर में 12 महीने घूमकर और भजन जागरण नृत्य मे जो भी राशि हम और आप से मिलती है, वह सारी राशि मणि महाराज (मनी) प्रतिवर्ष श्रीमद् भागवत कथा में खर्च कर देते हैं। 

साथ ही इनका सहयोग प्रति वर्ष पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष जगमोहन सेंंगर एवं ठाकुर बाबा मंदिर समिति का विशेष सहयोग रहता है। श्रीमद् भागवत कथा 20 नवंबर से 26 नवंबर तक संपन्न होगी। कथा व्यास संगीतज्ञ बाल योगी पंडित वासुदेव नंदिनी भार्गव का कलश यात्रा के दौरान जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ, कलश यात्रा के बाद कथा प्रांगण में आज पहले दिवस की कथा नंदिनी भार्गव द्वारा अपनी मधुर कोकिल वाणी से सुनाई गई। कथा समय दोपहर 1:00 से 5:00 बजे तक रहेगा समिति ने सभी धर्म प्रेमी बंधुओं से कथा सुनने का आमंत्रण भी दिया है।

प्रथम दिवस की कथा, भागीरथी गंगा से बढ़कर है भागवती गंगा
प्रथम दिवस की कथा में बालयोगी वासुदेव नंदिनी भार्गव ने व्यासपीठ से श्री भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि भागीरथी गंगा से बढ़कर है भागवती गंगा, कथा अमृत के समान है, श्रवण मात्र से ही सभी मंगलों की प्राप्ति होने लगती है और जो कथा बांट रहे हैं वे पृथ्वी पर सबसे बड़े दानी है। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानदीप है जिसकी रोशनी में मानव अपने जीवन का संचालन करता है। श्रीमद् भागवत कथा उच्च कोटि की भक्ति की प्रेरणा देती है, मीरा तुकाराम ध्रुव, प्रह्लाद आदि निष्काम भक्ति से ही इन और अन्य कई संत पुरुषों ने परमात्मा की प्राप्ति की और मीरा तो सदेह कृष्ण में समा गई। 

कथा महत्म एवं भक्ति की महिमा का वर्णन करते हुए गोकर्ण धुंधकारी प्रसंग को बड़ी आध्यामिकता के साथ श्रवण कराया और भागवत की महिमा को उद्धृत किया, धुंधकारी की मृत्यु उपरांत गयाजी मैं कितने ही श्राद्ध किये किंतु मुक्ति नही मिली, वहीं एक बार भागवत कथा सुनने से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई। भागीरथी में स्नान करने से पापों से निवृत्ति मिलती है लेकिन भागवती में स्नान करने से पाप करने की वृति ही समाप्त हो जाती है।

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