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Sunday, December 12, 2021

पोहरी के आदर्श विद्यालय से निकले एक बड़े वकील देशबंधु शर्मा का निधन


शिवपुरी।
पोहरी के आदर्श विद्यालय से निकले सर्वव्यापक क्रांति के नेता, राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता सेनानी ’पंडित गोपाल कृष्ण पुराणिक अनुसंधान संस्थान  की ग्वालियर में स्थापना करने वाले सुप्रसिद्ध अधिवक्ता देशबंधु शर्मा नहीं रहे। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। श्री देश बंधु शर्मा, को बंधु के उपनाम से अपने स्वजनों, प्रियजनों एवं सार्वजनिक जीवन में लोकप्रियता मिली। वे  शिवपुरी जिले के ग्राम लुकवासा (कोलारस) में जन्मे थे।  बंधु बाल्यकाल से ही प्रतिभावान थे। उन्हे बाल्यकाल में ही  प्रख्यात गांधीवादी चिंतक एवं आदर्श विद्यालय के संस्थापक पंडित गोपालकृष्ण पौराणिक का सानिध्य मिला। उन्होंने इसी विद्यालय में 1943-1949  के मध्य अपना बचपन बिताया। वहां उन्होंने  पुराणिक जी की देखरेख और संरक्षण में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। आदर्श विद्यालय में सिखाए गए स्वालंबन, सहकार सहित मानवीय मूल्य आजीवन उनके व्यक्तित्व का हिस्सा रहे। स्वतंत्रता के पूर्व किशोरावस्था में अंग्रेजी शासन के अत्याचार के विरुद्ध उनकी भावनाएं बलबती होती रहीं। सन १९४६-४७ में  लुकवासा के आगरा बॉम्बे मार्ग से जब अंग्रेजो  के वाहनों का काफिला निकलता था तो वे और उनके मित्र बालकों का दल आवागमन में अवरोध डालकर अपना विरोध जताते थे। बालकों का यह छोटा प्रयास उनमें देशभक्ति की भावना के उमड़ते ज्वार का प्रतीक था।

        कालांतर में आदर्श विद्यालय से निकलकर देशबंधु ने ग्वालियर के सरकारी हाई स्कूल मुरार में पढ़ाई की। मुरार में प्रसिद्ध विद्या मंदिर भवन में वे अपने बहनोई और लेखक,वकील व पत्रकार डॉ हरिहरनिवास द्विवेदी और बड़ी बहन श्रीमती विद्या देवी की संरक्षण में रहे। यहां उनके ज्ञान का बहुआयामी विकास हुआ। आगे उन्हें  उन्होंने 1954 में विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर से कला स्नातक (बीए)  किया। ग्वालियर में सक्रिय रहते हुए वे युवा कांग्रेस के महासचिव बने। उन्होंने 1954 में केंद्रीय मंत्री डॉ रफी अहमद किदवई की अध्यक्षता में आयोजित सामाजिक समारोह की व्यवस्थाओं को संभाला। आगे चलकर  देशबंधु शर्मा ने 1957 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे से पंडित गोपाल कृष्ण पुराणिक के  मार्गदर्शन में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। जहां उनका भारतीय विद्या भवन के संस्थापक पंडित  केएम मुंशी के साथ व्यक्तिगत संबंध रहा। यहां के वैचारिक वातावरण में भारत के पहले वित्त मंत्री और गोपाल कृष्ण पुराणिक के अन्य प्रमुख प्रकाशक मित्र श्री सी डी देशमुख उनके मार्गदर्शक  रहे। वह बॉम्बे विश्वविद्यालय के पुस्तकालय सचिव भी रहे।

उन्हें आगे चलकर गोपालकृष्ण पुराणिक ने आदर्श सेवा संघ का कार्यभार संभालने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और ग्वालियर में अपना कानूनी अभ्यास शुरू कर दिया। डॉ द्विवेदी ने देशबंधु एवं आठ वकीलों के साथ कानूनी फर्म दुबे लॉ कंपनी शुरू की। आपराधिक मामलों में पैरवी करते हुए वे अपने अध्ययन एवं तर्कों से सफल हुए। प्रारंभिक समय में ही सत्र अदालत में केवल 6 महीनों में ही वे 18 पक्षकारों को बरी  कराने में सफल रहे।

द्विवेदी लॉ फर्म के साथ कुछ मतभेदों के साथ उन्होंने फर्म छोड़ दी और विशेष रूप से दीवानी और राजस्व मामलों के क्षेत्र में अपना स्वतंत्र कानूनी अभ्यास शुरू किया। देशबंधु शर्मा ग्वालियर के लक्ष्मी बाई कॉलोनी में ग्वालियर बाबा गंगा दास की बड़ी शाला की राम जानकी ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी रहे,जो संयोग से 1969 में ग्वालियर का पहला धार्मिक सार्वजनिक ट्रस्ट बना।इस ट्रस्ट के निर्माण में राजमाता विजयाराजे सिंधिया का विशेष योगदान रहा।उनके सहयोग से लक्ष्मी बाई कॉलोनी, ग्वालियर में मल्टी हाउसिंग बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स का भी निर्माण हुआ। वह ग्वालियर में प्राथमिक, मध्य, उच्च और उच्च माध्यमिक विद्यालयों वाले आराधना एजुकेशनल सोसाइटी के संस्थापक सदस्य थे एवं लायंस क्लब, ग्वालियर के पूर्व अध्यक्ष के साथ ग्वालियर में फूलबाग के पास स्थित आरोग्यम के संस्थापक भी रहे। आरोग्यम प्राकृतिक चिकित्सा को समर्पित एक स्वास्थ्य सुधार का केन्द्र है। देशबंधुजी ने अपने गुरुदेव गोपालकृष्ण पुराणिक और उनके जीवन संघर्षों एवं  शिक्षा, ग्रामीण पुनर्निर्माण, स्वतंत्रता आंदोलन और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में उनके अग्रणी कार्य एवं निस्वार्थ सेवाओं को श्रद्धांजलि के रूप में पंडित गोपाल कृष्ण पौराणिक अनुसंधान संस्थान की ग्वालियर में नींव रखी। यह संस्थान शिवपुरी लिंक रोड पर स्थित है । इसमें गोपालकृष्ण पौराणिक जी के जीवन मूल्यों, आदर्शो एवं विचार को लेकर शोध एवं रचनात्मक कार्य निरंतर जारी हैं। संस्थान में  देशबंधुजी की प्रेरणा से संवाद का यह क्रम पूर्ववत जारी रहेगा और उनके इस प्रकल्प को हम हमेशा पल्लवित करते रहेंगे।

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