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Monday, October 28, 2024

प्रलेस राष्ट्रीय अधिवेशन में लेखक-पत्रकार ज़ाहिद ख़ान की दो किताबों का विमोचन


उर्दू भाषा से हिंदी में अनुवादित है किताबें

शिवपुरी-विगत 26 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ का एक दिवसीय नेशनल सेमिनार आयोजित हुआ। सेमिनार का केंद्रीय विषय भारतीय लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और साहित्य था। जिसमें चार अलग-अलग सत्रों में विचारोत्तेजक बातचीत हुई। सम्मेलन में प्रलेस से जुड़े हुए देशभर के भिन-भिन्न भाषाओं के साहित्यकार इक_ा हुए। इस सेमिनार में लेखक-पत्रकार और अनुवादक जाहिद ख़ान की दो किताबों कुछ उनकी यादें..कुछ उनसे बातें और यह किसका ख़ून है का विमोचन हुआ। 

पंजाब कला परिषद के सहयोग से परिषद के कला भवन में आयोजित इस सेमिनार के दूसरे सत्र में लेखक—विचारक प्रो. कांचा इलैया (हैदराबाद), राज्यसभा टीवी के पूर्व निदेशक लेखक, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश (दिल्ली), महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रलेस के कार्यकारी अध्यक्ष वरिष्ठ लेखक विभूति नारायण राय (दिल्ली), वरिष्ठ आलोचक वीरेन्द्र यादव (लखनऊ), कवयित्री डा.आरती (भोपाल), ट्रिब्यून के पूर्व संपादक, नाटककार और कवि डॉ.स्वराजबीर और पंजाब प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव, कवि—नाटककार डॉ. कुलदीप सिंह ने इन किताबों का विमोचन किया।

         गौरतलब है कि यह दोनों किताबें उर्दू से हिंदी अनुवाद हैं। शायर इशरत ग्वालियरी के सहयोग से जाहिद ख़ान ने इन्हें अनूदित और संपादित किया है। किताब कुछ उनकी यादें.. कुछ उनकी बातें में जहां उर्दू के अज़ीम अफसाना निगार सआदत हसन मंटो, कृष्ण चंदर, राजिंदर सिंह बेदी, ख़्वाजा अहमद अब्बास और इस्मत चुग़ताई के इंटरव्यू और उन पर केंद्रित आलेख शामिल हैं, तो वहीं किताब यह किसका ख़ून है, प्रगतिशील शायर अली सरदार जाफरी का ऐतिहासिक ड्रामा है, जो 1943 में उर्दू में प्रकाशित हुआ था। इन दोनों किताबों को मिलाकर जाहिद ख़ान अभी तक तरक्की पसंद अदबी तहरीक से जुड़ी चार किताबों का लिप्यंतरण और अनुवाद कर चुके हैं। कृष्ण चंदर का रिपोर्ताज पौदे और हमीद अख़्तर की तरक्की पसंद अदबी तहरीक से जुड़ी हुई तारीखी किताब रूदाद-ए-अंजुमन इनमें शामिल हैं।

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