वैकुंठवासी श्री राधेश्याम पहारिया स्मृति में आयोजित श्रीमद भगवत कथा में बतायाएक व्यक्ति के गलत होने पर संपूर्ण समाज को दोषी नहीं ठहराया जा सकता
शिवपुरी - आज के समय में समाज में उभरती दोषारोपण की प्रवृत्ति पर श्री मद भागवत कथा के दौरान, प्रख्यात कथावाचक श्री चिन्मयानंद बापू ने अपने तर्कपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, एक व्यक्ति के गलत होने पर सम्पूर्ण समाज को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके साथ ही परिणय वाटिका में वैकुंठवासी श्री राधेश्याम पहारिया स्मृति में आयोजित श्रीमद भागवत का पूजन कथा के मुख्य यजमान श्रीलाली-शैलेंद्र पहारिया एवं श्रीमती सनाया-शिवम पहारिया परिवार के द्वारा कथा प्रारंभ से पूर्व श्रीमद् भागवत पूजन किया गया तत्पश्चात व्यासपीठ से कथा का वाचन कर रहे परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद जी बापू से आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा में भगवान की बाल लीलाओं के साथ भगवान श्रीकृष्ण रूक्मणी विवाह कथा का वृत्तान्त श्रद्धालुओं को श्रवण कराया। इसके पूर्व कथा स्थल पर गोवर्धन पूजन किया और छप्पन भोग दरबार लगाया गया। कथा स्थल पर जानकी सेना संगठन के द्वारा संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में जानकी सेना के पदाधिकारी व सदस्यगण शामिल हुए। समापन पश्चात सभी के कथा आयोजक पहारिया परिवार के द्वारा प्रसाद स्वरूप अन्नकूट का आयोजन किया गया। जिसे सभी ने ग्रहण किया।
कथा में पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू ने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि समाज में कई महान और प्रभावशाली व्यक्तियों के बावजूद, कुछ व्यक्तियों के कर्म समाज को कलंकित नहीं कर सकते। उदाहरण स्वरूप, उन्होंने रामायण के प्रसिद्ध चरित्र रावण का उल्लेख करते हुए कहा, रावण के गलत होने से सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज दोषी नहीं हो सकता। इसी प्रकार, सुपर्णखा की नाक काट लेने से समस्त नारी जाति को गलत नहीं ठहराया जा सकता। चिन्मयानंद बापू ने आज के समाज में उभरते उन विकृत प्रवृत्तियों पर भी चिंता व्यक्त की, जहाँ एक व्यक्ति के कर्म को आधार बनाकर पूरे समाज को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। उन्होंने कहा, आजकल तो रावण के मंदिर भी बनने लगे हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक व्यक्ति के कर्म से उसकी पूरी जाति या समाज दोषी नहीं हो सकता।
समाज को समर्पित किया संदेश
श्री चिन्मयानंद बापू ने समाज से आग्रह किया कि वह व्यक्ति और समाज के बीच की इस महत्वपूर्ण विभाजन रेखा को समझे। एक व्यक्ति के गलत कर्म का कलंक सम्पूर्ण समाज पर नहीं लगना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि हम सही दृष्टिकोण अपनाएं और किसी भी समुदाय या वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह से बचें।
दिया धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का संदेश
इस अवसर पर बापू ने धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का संदेश दिया और बताया कि समाज की उन्नति तभी संभव है, जब हम व्यक्तिगत जिम्मेदारी और सामूहिक न्याय के सिद्धांतों को समझकर चलेंगे। इस प्रवचन ने उपस्थित जनसमूह को गहन विचार करने पर मजबूर कर दिया और एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सामाजिक न्याय और नैतिकता की आवश्यकता पर बल दिया।
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