रथयात्रा में श्रीजगन्नाथ, श्रीबलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ को खींचने में लाभार्थी बने धर्मप्रेमीजनशिवपुरी- हरे कृष्ण, श्रीकृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे के भजन-कीर्तनों के साथ ईस्कॉन शिवपुरी के तत्वाधान में पहली बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा स्थानीय इस्कॉन मंदिर से निकली जो तात्याटोपे पार्क पर एकत्रित होकर सभी धर्मप्रेमीजनों के द्वारा जन्म-मृत्यु के चक्र मुक्ति पाने हेतु भगवान श्रीजगन्नाथ, भगवान श्री बलभद्र एवं देवी सुभद्रा जी के रथ को हाथों से खींचकर धर्मप्रेमीजनों ने धर्मलाभ प्राप्त किया।
इस अवसर पर नगर में रविवार को भव्य रथ यात्रा अंतराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) संस्थापक आचार्य अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी शील प्रभुपाद के आशीर्वाद से निकली भव्य शोभायात्रा की शुरूआत तात्याटोपे पार्क से दिव्य शंख, ध्वनि और वैदिक मंत्रोचारण के साथ की गई। यह शोभा यात्रा नगर में राजेश्वरी रोड होते हुए गुरुद्वारा से होकर, माधवचौक, कोर्ट रोड़, अस्पताल चौराहा होते हुए अग्रसेन चौराहा, एम एम हॉस्पिटल होते हुए पोहरी चौराहे से होकर मिलन वाटिका पहुंची जहां प्रसाद वितरण हुआ तत्पश्चात इस्कॉन मंदिर पर सभी धर्मप्रेमीजन पहुंचे।
जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने हेतु खींचा जाता है भगवान श्रीजगन्नाथ जी का रथ
भगवान श्रीजगन्नाथ यात्रा के रूप में निकाली गई इस यात्रा का संदेश है कि सभी भक्तों के लिए इस्कॉन, शिवपुरी के तत्वाधान में समस्त धर्मप्रेमी जनो के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की यह पावन रथ यात्रा लेकर आए और यह मात्र एक महोत्सव नहीं, बल्कि स्वयं परमात्मा से जुडऩे, प्रेम और एकता का अनुभव करने का एक अनुपम अवसर रहा, सभी ने मिलकर इस आध्यात्मिक यात्रा में कदम बढ़ाए और भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। दिव्य महामंत्र का कीर्तन करते हुए, रथ खींचने के अनमोल सौभाग्य का समस्त धर्मप्रेमीजनों ने अनुभव किया और अपने जीवन को आध्यात्मिक आनंद से भर लिया। शास्त्रों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी खींचने मात्र से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और सीधा भगवान के धाम को प्राप्त होता है।
भगवान श्रीजगन्नाथ यात्रा के रूप में निकाली गई इस यात्रा का संदेश है कि सभी भक्तों के लिए इस्कॉन, शिवपुरी के तत्वाधान में समस्त धर्मप्रेमी जनो के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की यह पावन रथ यात्रा लेकर आए और यह मात्र एक महोत्सव नहीं, बल्कि स्वयं परमात्मा से जुडऩे, प्रेम और एकता का अनुभव करने का एक अनुपम अवसर रहा, सभी ने मिलकर इस आध्यात्मिक यात्रा में कदम बढ़ाए और भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। दिव्य महामंत्र का कीर्तन करते हुए, रथ खींचने के अनमोल सौभाग्य का समस्त धर्मप्रेमीजनों ने अनुभव किया और अपने जीवन को आध्यात्मिक आनंद से भर लिया। शास्त्रों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी खींचने मात्र से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और सीधा भगवान के धाम को प्राप्त होता है।
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