बामौर कलां में मुनिश्री सौम्य सागर संसघ की भव्य मंगल आगवानी हुईशिवपुरी/बामौरकलां। बामौरकलां में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री सौम्य सागर, मुनिश्री निश्चल सागर एवं मुनिश्री निरापद सागर ससंघ की भव्य मंगल आगवानी बड़े ही धूमधाम से हुई। जैन पथ होटल पर सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष ने एकत्रित होकर मुनि संघ जयकारे साथ आगवानी की इसमें भव्य आरती की गई। जैन पथ होटल से बस स्टैंड होते मैन मार्केट होते हुए जैन मंदिर पहुंचे जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। लोगों ने अपने घर-घर में मुनिश्री सौम्य सागर, मुनिश्री निश्चल सागर व मुनिश्री निरापत सागर की आरती की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
इसके बाद आचार्य पूजन का आयोजन किया गया, जिसमें मुनिश्री सौम्य सागर संसघ ने श्रद्धालुओं को धार्मिक प्रवचन दिया और उन्हें जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इस अवसर मुनिश्री ने कहा कि आप रोज वेदी के नीचे देखते होगे कि सिंह और गाय एक ही घाट का पानी पीना सीख जाते है, सिंह और गाय के एक साथ पानी पीने को हम बहुत बड़ा चमत्कार नही मानते, क्योंकि जब प्यास लगी हो तो कोई ये नही देखता कौन अपना और कौन पराया और पहले प्यास बुझा ली जाए, कुंड में पानी रखा है, लेकिन उससे भी बड़ा दृश्य जब आपको देखने को मिलता कि सिंहनी का शावक गाय के थन से दूध पी रहा है और गाय का बच्चा सिंहनी का दूध पी रहा है ये बहुत अद्भुत दृश्य है। जबकि बछड़ा हजारों गायों में भी अपनी मां को पहचान लेता है और वहां तो एक ही गाय है तो वह कैसे भूल गया की मुझे अपनी मां का दूध पीना है या सिर्फ मां का दूध पीना है भेद भाव समाप्त हो जाए और केवल मातृत्व रह जाए ये वीतरगता के आभामंडल में ही संभव है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों ने मुनिश्री के दर्शन कर आर्शीवाद प्राप्त किया।
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