सेसई सड़क कोलारस स्थित रैया सरकार हनुमान मंदिर पर आयोजित है श्रीमद् भागवत कथाशिवपुरी-एबी रोड़ स्थित सेसई सड़क (कोलारस) में रैया सरकार हनुमान जी मंदिर पर चल रही श्रीराम चरित मानस में बालयोगी पंडित सुश्री बासुदेव नंदिनी भार्गव ने भगवान श्रीराम के वन गमन की कथा का श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि वनवास तो रामजी को दिया गया किंतु साथ में जानकी और लक्ष्मण भी चल दिए। यदि आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो राम जी ज्ञान है, लक्ष्मण वैराग्य है और जानकी मैया भक्ति है। जिसके जीवन में इन तीनों का मिश्रण होता है, वह कैसे भी निर्झर वन में चला जाए भटकता नहीं है। भगवान श्रीराम के बनवास की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि राम के वनवास जाने के अनेक हेतु है, इसमें दोष केकई को नहीं है कि उसने रामजी को वनवास दिया, अपितु धन्य हैं कैकई तो, जिन्होंने कृपा की और राम को केवल अयोध्या का राजा नहीं बनाया बल्कि जन-जन के राजा राम के रुप में प्रकीर्तित किया। रामजी केवल महलों में रहने के लिए थोड़ी प्रकट हुए थे, वे प्रेम राज्य की स्थापना करने के लिए आए थे। वनवास में गंगा के तट पर श्रंगवेगपुर में भगवान ने निषाद को अपने गले से लगाया पास बैठाया राज्य के सर्वोच्च व्यक्ति ने राज्य के सबसे कमजोर व्यक्ति को साथ बैठाकर प्रेम राज का उद्घाटन किया।
सेसई सड़क कोलारस स्थित रैया सरकार हनुमान मंदिर पर आयोजित है श्रीमद् भागवत कथाशिवपुरी-एबी रोड़ स्थित सेसई सड़क (कोलारस) में रैया सरकार हनुमान जी मंदिर पर चल रही श्रीराम चरित मानस में बालयोगी पंडित सुश्री बासुदेव नंदिनी भार्गव ने भगवान श्रीराम के वन गमन की कथा का श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि वनवास तो रामजी को दिया गया किंतु साथ में जानकी और लक्ष्मण भी चल दिए। यदि आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो राम जी ज्ञान है, लक्ष्मण वैराग्य है और जानकी मैया भक्ति है। जिसके जीवन में इन तीनों का मिश्रण होता है, वह कैसे भी निर्झर वन में चला जाए भटकता नहीं है। भगवान श्रीराम के बनवास की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि राम के वनवास जाने के अनेक हेतु है, इसमें दोष केकई को नहीं है कि उसने रामजी को वनवास दिया, अपितु धन्य हैं कैकई तो, जिन्होंने कृपा की और राम को केवल अयोध्या का राजा नहीं बनाया बल्कि जन-जन के राजा राम के रुप में प्रकीर्तित किया। रामजी केवल महलों में रहने के लिए थोड़ी प्रकट हुए थे, वे प्रेम राज्य की स्थापना करने के लिए आए थे। वनवास में गंगा के तट पर श्रंगवेगपुर में भगवान ने निषाद को अपने गले से लगाया पास बैठाया राज्य के सर्वोच्च व्यक्ति ने राज्य के सबसे कमजोर व्यक्ति को साथ बैठाकर प्रेम राज का उद्घाटन किया।
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