आराधना भवन में पूजन अर्चना कर मनाया गया पूज्य गुरूवर का 151वां जन्म महोत्सवशिवपुरी- जब भी इस धरती पर किसी महान पुरूष का जन्म होता है तो उसके प्रभावों का अनुसरण भी इस संसार के संसारी प्राणी करते है, अपने जीवन में हमेशा से 45 आगम के रूप में जग विख्यात रहे पूज्य आनन्द सागर सूरीश्वर जी म.सा. यह नाम भी हमें प्रेरणा देता है कि साक्षात ईश्वर समान रूप में 45 आगम के रूप में हमारे घर विराज रहे है, इसलिए अपने घरों को सजाए, द्वार सजाए, दीपक जलाए और परिवार के साथ आगम के आगमन की पूजा-अर्चना कर घर में देवस्थान वाली जगह पर आगम को स्थान दें और सपरिवार नियमिति पूजन करें, निश्चित ही आगम का प्रभाव आप सभी के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति का वास कराएगा और आध्यात्मिक रूप से जुड़ सकेंगें।
45आगम की इस व्याख्या को अपनी ओजस्वी वाणी में श्रवण कराया प.पू.आमीपूर्णा श्रीजी म.सा. ने जो स्थानीय कोर्ट रोड़ स्थित श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ द्वारा आयोजित चातुर्मास के दौरान पूज्य गुरूवर आनन्द सागर सूरीश्वर जी म.सा. के जन्म महोत्सव पर आयोजित आर्शीवचन में गुरू की महिमा का बखान कर रही थी। इस अवसर पर श्रीसंघ की अन्य साध्वीयां भी मौजूद रही। इस अवसर पर 45आगम को समाज की महिलाओं के द्वारा आकर्षक स्वरूप में सजाया गया और सभी के बीच में श्रीधर्म पूजन के लिए रखा गया। जिससे पूज्य साध्वियों के द्वारा सराहा गया और सूक्ष्माधारी 45आगम की व्याख्या को भी के समक्ष बताया गया।
इस अवसर पर पूज्य आनन्द सागर सूरीश्वर जी म.सा. के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित आर्शीवचन में देते हुए प.पूज्य आमीपूर्णा श्रीजी म.सा. ने बताया कि एक समय जब मॉं यमुना ने स्वप्न देखा देवित्य मान वृषभ आकाश से उतरकर उनके मुख में प्रवेश कर दिया, मध्यरात्रि के अंदर स्वप्न देखा तो मॉं जाग गई और उठकर जाप करने लगे, यहां चौबिहार उपास की आराधना की अन्य धार्मिक क्रिया सुबह तक की गई और ईश्वर से प्रार्थना की मेरी कुक्षी के अंदर जो संतान आए वह केवली क्षमा श्रवण जैसा हो, अगले ही दिन स्वप्न देखा कि 45 चांदी के स्वास्तिक मंदिर के अंदर रखे है, इस स्वप्न को जब उन्होंने अपने गुरू को सुनाया तब गुरूजी ने कहा कि आपको बहुत ही सुंदर स्वप्र आया है आपको जो पुत्र रत्न प्राप्त होगा
इस अवसर पर पूज्य आनन्द सागर सूरीश्वर जी म.सा. के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित आर्शीवचन में देते हुए प.पूज्य आमीपूर्णा श्रीजी म.सा. ने बताया कि एक समय जब मॉं यमुना ने स्वप्न देखा देवित्य मान वृषभ आकाश से उतरकर उनके मुख में प्रवेश कर दिया, मध्यरात्रि के अंदर स्वप्न देखा तो मॉं जाग गई और उठकर जाप करने लगे, यहां चौबिहार उपास की आराधना की अन्य धार्मिक क्रिया सुबह तक की गई और ईश्वर से प्रार्थना की मेरी कुक्षी के अंदर जो संतान आए वह केवली क्षमा श्रवण जैसा हो, अगले ही दिन स्वप्न देखा कि 45 चांदी के स्वास्तिक मंदिर के अंदर रखे है, इस स्वप्न को जब उन्होंने अपने गुरू को सुनाया तब गुरूजी ने कहा कि आपको बहुत ही सुंदर स्वप्र आया है आपको जो पुत्र रत्न प्राप्त होगा
वह आगम की शान होगा और आपका पुत्र कही ना कहीं 45 से जुड़ा होगा, अमावस्या के दिन जब पूज्य गुरूवर का जन्म हुआ तो जन्म के 40 दिन बाद जब उन्हें मंदिर ले जाया गया तो वहां भी श्रावकों की संख्या भी 45 थी, 45 का नाता पूज्य गुरूवर के साथ जन्म से रहा, आगम का उद्वार करने वाले सागर सूरीश्वर जी म.सा. का नाम आग्मोद्वारक सागर सूरीश्वर जी म.सा. के नाम से जग विख्यात हुए। प्रखर बुद्धि के धनी आचार्य श्री की 45 आगम मुंह जुबानी थे, कौन से पृष्ठ पर क्या अंकित है वह उन्हें सैकेण्डों में बता देते थे, ऐसे गुरूजी का हम समस्त जैन श्रावक-श्राविका मिलकर 151वां जन्मोत्सव मना रहे है यह हम सबका सौभाग्य है।
इस अवसर पर कार्यक्रम का प्रारंभ मंदिर अध्यक्ष तेजमल सांखला, सचिव विजय पारख एवं अन्य पदाधिकारियों के द्वारा गुरूदेव के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया तत्पश्चात समाज अध्यक्ष तेजमल सांखला, विजय पारख, धर्मेन्द्र गुगलिया, विनीता पारख, संदीप पारख आदि सहित समाजजनों ने पूज्य गुरूदेव के गुणों पर अपनी-अपनी बात रखी। कार्यक्रम में 45लकी ड्रॉ भी रखे गए जिसे तेजमल सांखला परिवार के द्वारा प्रदाय किए गए। इसके साथ ही 45आगम की किताब प्रत्येक घर में भेजने का लाभ लाभार्थी धर्मेन्द्र गुगलिया परिवार द्वारा लिया गया। आगम यात्रा का लाभ सौभाग्यमल, विजय पारख परिवार ने लिया। कार्यक्रम में सुंदर भजन की प्रस्तुति इंदौर से आए भजन कलाकरों के द्वारा दी गई। सभा का संचालन विजय पारख के द्वारा किया गया। इस दौरान महिलाओं के द्वारा लाए गए आगम को सुंदर सजाकर थाली सजाई गई जो सभी के आकर्षण का केन्द्र रही। समापन के अवसर पर 151 रूपये की संघ पूजा गुप्त लाभार्थी परिवार द्वारा लिया गया।
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