शिवपुरी- मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्त्वावधान में ज़िला अदब गोशा, शिवपुरी के द्वारा सिलसिला एवं तलाशे जौहर के तहत शिवपुरी के प्रसिद्घ साहित्यकार डॉ. लखन लाल खरे को समर्पित स्मरण एवं रचना पाठ का आयोजन 20 सिंतबर 2025 को सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय, शिवपुरी में ज़िला समन्वयक प्रदीप अवस्थी के सहयोग से किया गया।
शिवपुरी में आयोजित सिलसिला एवं तलाशे जौहर के लिए मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की निदेशक ने अपने संदेश में संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा शिवपुरी में आयोजित “सिलसिला एवं तलाशे जौहर” संगोष्ठी का उद्देश्य डॉ. लखन लाल खरे जैसे बहुमुखी साहित्यकारों के योगदान का स्मरण कर नई पीढ़ी को उनके कार्यों से परिचित कराना, तलाशे जौहर प्रतियोगिता के माध्यम से नवोदित शायरों और रचनाकारों को मंच देकर उनकी प्रतिभा को निखारना तथा वरिष्ठ और नए रचनाकारों के बीच ग़ज़ल-पाठ, साहित्यिक संवाद और विचार-विमर्श के जरिए भाषा, साहित्य और संस्कृति की निरंतरता बनाए रखना है।
शिवपुरी ज़िले के समन्वयक प्रदीप अवस्थी ने बताया कि स्मरण एवं रचना पाठ दो सत्रों पर आधारित था। प्रथम सत्र में दोपहर 3:00 बजे तलाशे जौहर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें ज़िले के नये रचनाकारों ने तात्कालिक लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। निर्णायक के रूप में गुना के वरिष्ठ शायर डॉ अशोक गोयल एवं शिवपुरी के उस्ताद शायर रफ़ीक़ इशरत ग्वालियरी मौजूद रहे जिन्होंने प्रतिभागियों शेर कहने के लिए दो तरही मिसरे दिये। दिये गये मिसरों पर नए रचनाकारों द्वारा कही गई ग़ज़लों पर एवं उनकी प्रस्तुति के आधार पर कल्पना सिनोरिया ने प्रथम,संजय शाक्य ने द्वित्तीय एवं शरद गोस्वामी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले तीनों विजेता रचनाकारों को उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार राशि क्रमशः 3000/-, 2000/- और 1000/- एवं प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
दूसरे सत्र में शाम 5:00 बजे सिलसिला के तहत स्मरण एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता शिवपुरी के वरिष्ठ शायर इशरत ग्वालियरी ने की। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय महामंत्री आशुतोष शर्मा तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ. अशोक गोयल, पुरुषोत्तम गौतम, प्रमोद भार्गव एवं स्थानीय वक्ता यूसुफ़ अहमद क़ुरैशी मंच उपस्थित रहे। इस सत्र के प्रारंभ में प्रसिद्घ साहित्यकार डॉ लखन लाल खरे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दोनों वक्ताओं ने चर्चा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आशुतोष शर्मा ने कहा कि स्वर्गीय लखनलाल खरे ने बुंदेली भाषा पर अदभुत कार्य किया है,रामचरितमानस के कतिपय प्रसंग हो या मदारी की आत्मकथा,या लोक कला नौटंकी पर आधारित उनकी पुस्तक हो सभी में उनकी विद्वता के दर्शन होते है।बज़्मे उर्दू के आयोजन हों या लेखक संघ के सभी में उनका सहयोग और उपस्थिति सदैव रहती भी थी,और प्रोत्साहन भी रहा करता था।ना जाने कितने ग़रीब बच्चों को शिक्षा की सुविधा मुहैया कराने वाले ,कितने ही विद्यार्थियों को पी एच डी कराने वाले स्वर्गीय खरे भले ही आज सशरीर हमारे बीच ना हो,पर उनके कार्य,उनकी पद्धति उनके विचार उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों के माध्यम से हमारे साथ ही है।
वहीं यूसुफ़ अहमद क़ुरैशी ने कहा कि डॉ. लखन लाल खरे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनकी गिनती शिवपुरी के महत्वपूर्ण साहित्यकारों में होती थी। वे एक मिलनसार, साहित्य प्रेमी और नए रचनाकारों के प्रोत्साहन, संरक्षण और हर तरह से मदद करने वाले नेक दिल इंसान थे और यह बात सर्वमान्य है कि जो व्यक्ति अच्छा इंसान नहीं होता वो अच्छा साहित्यकार भी नहीं हो सकता यानी अच्छा इंसान और अच्छा साहित्यकार होना एक दूसरे के पूरक हैं। वो शिवपुरी की कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे और उन्होंने शिवपुरी से दुनिया भर के लगभग 14 देशों तक जाने वाली डॉक्टर महेंद्र अग्रवाल की त्रैमासिक पत्रिका 'नई ग़ज़ल'के संपादक के तौर पर भी अपनी सेवाएं प्रदान कीं तथा उर्दू एवं हिंदी के और शायरों की रचनाओं के साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशन में महत्तवपूर्ण योगदान दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने भाषा एवं साहित्य से संबंधित शोध कार्य भी किया और आलोचक के रूप में भी पहचान बनाई।
रचना पाठ में जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर निम्न हैं :
रफ़ीक़ इशरत ग्वालियरी
नाम हर शय पे तुम्हारा है हमारा क्या है
हमसे बच्चों को ये शिकवा है हमारा क्या है
अब तो हमसाये से कहने लगे बच्चे अपने
जब तलक बाप हमारा है, हमारा क्या है
डॉ. अशोक गोयल
दुआ है रब से सलामत रहें जहाँ में सब
किसी का नाम भी इन पत्थरों पर नहीं जँचता
मोहम्मद याक़ूब साबिर
दिल में तासीर मोहब्बत की उतर आने से
हां किसी शख़्स में बदलाव भी हो सकता है
मुबीन अहमद मुबीन
देखेगा मुबीन उस दम हर आदमी इज़्ज़त से
नफ़रत के अंधेरों में गर दीप जलाओगे
सतीश दीक्षित किंकर
खुदा ख़ुद को समझता है वही नादान है किंकर
हवेली जो चमकती थी वही सूनी पड़ी देखी
सुभाष पाठक ज़िया
है तमन्ना अगर उजालों की
तो हिफ़ाज़त करो चरागों की
भूल मत जाना तुम ज़मीं अपनी
बात करते हुए सितारों की
श्याम बिहारी सरल
जो वतन की आबरू ठुकराएगा,
एक दिन बेमौत मारा जाएगा।।
आशियाने के करे टुकड़े कोई,
वो नीच ग़द्दारों में आँका जाएगा।
रामकृष्ण मोर्य मयंक
बरसने लगी आग नफ़रत की जहां में अब
हमें आशियाना बचाने की ज़रूरत है
सौरभ तिवारी
कोई पर्ची भी मेरे नाम की नहीं निकली
दिले सकून के ,पैगाम की नहीं निकली
भरी पड़ी है हथेली मेरी , लकीरों से
कोई लकीर मेरे काम की नहीं निकली ।
सलीम बादल
परिंदे आबो दाना चाहते हैं
फ़क़त इक आशियाना चाहते हैं
उर्वशी शर्मा
किसी को देखने भर की तलबगारी कभी होगी
मुहब्बत में कहां सोचा था लाचारी कभी होगी
मुकेश शर्मा
माना कि किसी बात पर अनबन हो गई है उनसे,
मशवरा है मेरा बोलना बंद करना नहीं चाहिए।
अंजलि गुप्ता
दिल की दहलीज़ पर आते जाते रहो
प्रेम पुष्पों से आँगन सजाते रहो
हैं उजाले मुहब्बत के दिल में अगर
रौशनी की तरह झिलमिलाते रहो
प्रदीप अवस्थी सादिक़
झूठ है अपवाह है तलवार से डरता हूँ मैं
दोस्तों बस इक तुम्हारे प्यार से डरता हूँ
श्याम शास्त्री
जिन जिन पर शिकस्त लिखी थी, उन सब मैदानों को जीत लिया ।
जितने भी आए थे मेरा दाम लगाने , मैंने सबको खरीद लिया
कार्यक्रम का संचालन सलीम बादल द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में ज़िला समन्वयक प्रदीप अवस्थी ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
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