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Tuesday, September 23, 2025

श्री रामशरणम परिवार ने आयोजित किया विशेष सत्संग का आयोजन


अमृतवाणी पाठ, भजन संकीर्र्तन के साथ आत्मकल्याण हेतु उमाशंकर पचौरी ने दिया सारगर्भित उदबोधन

शिवपुरी - पूज्यपाद श्री स्वामी श्री सत्यानंद जी महाराज की विशुद्ध आध्यात्मिक पद्धति तथा जीवंत नाम दीक्षा पद्धति के बारे में जन-जन को परिचित कराने हेतु शिवपुरी में श्री रामशरणम परिवार द्वारा पहली बार विशेष सत्संग का कार्यक्रम आयोजित किया जिससे नगर में आस्तिक भाव की वृद्धि तथा रामनाम का विस्तार हो। उक्त विशेष सत्संग कार्यक्रम श्री माधव सत्संग आश्रम श्रीराम शरणम ग्वालियर के नेतृत्व में श्रीरामशरणम परिवार शिवपुरी ने आयोजित किया गया जिसका बड़ी संख्या में नगर वासियों ने लाभ उठाया और जीवन की सार्थकता की ओर कदम बढ़ाए। 

इस आयोजन में श्री अमृतवाणी पाठ के साथ-साथ भजन संकीर्र्तन के अलावा आत्मकल्याण हेतु मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त आचार्य श्री उमाशंकर पचौरी ने प्रेरक उदबोधन दिया और पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने के मार्ग को रेखांकित किया। इस कार्र्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि निर्धारित समय के अनुसार ठीक 4:30 मिनिट पर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ और ठीक 6 बजे कार्यक्रम का समापन हुआ। पूरे कार्यक्रम में पिन ड्रॉप सायलेंस रहा जिससे कार्यक्रम की गुणवत्ता निरंतर बनी रही और एक-एक क्षण को उपस्थित जन सामान्य ने आत्मसात किया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रदेश के सूचना आयुक्त डॉ. श्री उमाशंकर पचौरी ने पूज्यपाद स्वामी श्री सत्यानंद जी महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने ही ईश्वर प्राप्ति हेतु श्रीरामशरण की स्थापना की थी। वह 19 वीं शदी के एक महान औैर उच्च कोटी के संत थे। उनका सानिध्य और सत्संग पाकर हम सब धन्य-धन्य हुए हैं। आध्यात्म की सरलतम एवं श्रेष्ठतम अनुभूति रामनाम की साधना प्रणाली में योगदान करने वाले वर्तमान के वे महान योगी और संत पुरूष थे। उन्होंने राम महामंत्रों को त्रिताप सम्प्रदाय, जातिभेद और मतमतांतर की सकुचित सीमा को अस्वीकार करते हुए रामनाम के बीज मंत्र का प्रसाद जन-जन में बांटा। 

स्वामी जी द्वारा प्रतिपादित नाम दीक्षा पद्धति पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता श्री पचौरी ने बताया कि नाम दीक्षा पद्धति से स्वामी जी अपनी संकल्प शक्ति से साधक के अंतकरण में राम नाम एक जाग्रत चेतन्य मंदिर को बीज रूप में स्थापित करते थे। ताकि समय के अंतराल में उक्त बीज वृक्ष बनकर अपना रंग दिखाता है और साधक के आचार विचार और व्यवहार में परिवर्तन से इसकी अनुभूति की जा सकती है। श्री पचौरी ने इस अवसर पर सत्संग की महिमा पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और भगवत भक्ति से जन-जन  को अवगत कराया। उनके सरल एवं प्रभावी शब्दों में दिए गए अदभुत व्याख्यान ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। ग्वालियर के साधकों द्वारा गाए गए भावपूर्र्ण एवं सुमधुर स्वर लहरी की भजन गंगा में स्थान कर सभी धन्य हो गए। कार्यक्रम में श्रीरामशरण ग्वालियर में प्रतिपूर्णिमा नाम दीक्षा तथा 14 नवम्बर से 17 नवम्बर को ग्वालियर में होने वाले साधना सत्संग की जानकारी दी गई।

शिवपुरी में प्रति रविवार को होता है श्री अमृतवाणी का पाठ
शिवपुरी में श्रीराम शरणम परिवार द्वारा प्रत्येक रविवार को कर्मचारी भवन शिवपुरी में सुबह 7:30 से सुबह 9 बजे तक अमृतवाणी पाठ का आयोजन होता है। इकाई के प्रवक्ता ने नागरिकों से अपील की है कि वह प्रत्येक रविवार को श्री अमृतवाणी पाठ में शामिल होकर अपने जीवन को सार्र्थक और सफल बना सकते हैं।

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