भटनावर में श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस पर अमर कथा और शुकदेव जन्म का वृतांत सुनायाशिवपुरी। श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस गुरुवार को कथा में अमर कथा और शुकदेव जी के जन्म का वृतांत का विस्तार से वर्णन किया। कथावाचक आचार्य विक्रम कोठारी महाराज ने कथा की शुरुवात राधा रानी का भजन गाकर करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है। जिसकी वजह से आप कथा का आनंद ले रहे हैं। श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कर पा रहे हैं क्योंकि जिन्हें गोविंद प्रदान करते हैं, जितना प्रदान करते हैं उसे उतना ही मिलता है। कथा में यह भी बताया कि पाना चाहते हैं कुछ सीखना चाहते हैं तो कथा में प्यासे बनकर आए, कुछ सीखने के उद्देश्य से कुछ पाने के उद्देश्य से आएं तो यह भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं, बल्कि बहुत कुछ देगी।
आचार्य जी ने बताया कि मनुष्य का जीवन सांसारिक भोग में नहीं कृष्ण भक्ति में बताएं, मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान सांसारिक विषयों को भोगन में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ती शाश्वत है, उन्होंने कहा कि हमारा जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोडऩा है और अगर हम यह दृढ़ निश्चित कर लेंगे की हमें जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए प्रभु से बढ़कर कोई और सुख संपत्ति या संपदा नहीं है, भागवत कथा के समय स्वयं श्री कृष्ण आपसे मिलने आए है जो भी इस भागवत के तट पर आकर विराजमान हो जाता है भागवत उसका सदैव कल्याण करती है। उन्होंने कहा कि बिना जाति और बिना मजहब देखें इनसे आप जो मांगे ये आपके मन वांछित फल देता है और अगर कोई न मांगे तो उसे मोक्षपरियन्त तक की यात्रा करती है। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें।

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