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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Saturday, December 6, 2025

सुदामा चरित्र व फूलों की होली के साथ हुआ कथा का समापन



शिवपुरी।
सात दिन से सिद्धेश्वर मंदिर के पास चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन हो गया।जिसमें कथावाचक श्री श्री 1008 केशावाचार्य जी महाराज महंत गोपाल जी मंदिर, रंगजी मंदिर श्रीधाम वृन्दावन द्वारा श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का वर्ण किया गया। उनके द्वारा बताया गया कि सुदामा की पत्नी उनसे कहती है कि तुम अपने सखा से मिलने क्यों नही जाते और जब सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने उनके महल द्वारिका जाते है तो उनके पास श्रीकृष्ण को उपहार में देने के लिए कुछ नही होता तो वह अपने घर से एक पोटली में चावल लेकर जाते है। जैसे ही सुदामा द्वारिका पहुँचते है तो वहां मौजूद द्वारपाल उनको अन्दर नहीं जाने देते और यह बात जैसे ही श्रीकृष्ण को पता लगती है कि उनका बचपन का सखा सुदामा आया है तो वह दोड़ते हुए जाते है और सुदामा को गले लगा लेते है और अपने साथ ले आते है और अपने स्वयं के सिंघासन पर बैठकर सुदामा के चरण धुलाते है, 

फिर श्रीकृष्ण सुदामा से पूछते है मेरे लिए क्या लाये और सुदामा वह पोटली को छुपा लेते है और श्रीकृष्ण वह पोटली सुदामा से लेकर जैसे ही खोलते है उसमें चावल होते है और सुधामा रोने लगते है। श्रीकृष्ण एक एक करके 3 मु_ी चावल खाते है और वह तीसरी मु_ी खा रहे होते है और रुकमनी उनको रोक देती हैं और श्रीकृष्ण सुदामा को गले लगा लेते है। इसी के साथ कथा का समापन हुआ, वहाँ मौजूद सभी श्रद्धालुओं ने राधाकृष्ण क साथ फूलों की होली खेली और सभी श्रद्धालु भजनों पर थिरकते नजर आये। अंत में कथावाचक श्री केशावाचार्य जी महाराज ने पंडित श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के लिए बताया कि 5 लाख हिन्दू सनातनी बुजुर्गों से लेकर छोटे-छोटे बच्चो को अथवा सभी समाज के लोगो को एकत्रित करना ही सबसे बड़ा चमत्कार है।

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