डाईट परिसर में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजनशिवपुरी- साहब, अगर किसी बच्चे की मां की मृत्यु हो गई है और पिता शराबी है। घर पर शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है, बच्ची असुरक्षित माहौल में है या माता पिता दोनों नहीं है और परिवार या समाज उसका विवाह करना चाहता है, तो क्या उस ल?की के बाल विवाह की इजाजत दी जा सकती है? यह प्रश्न जागरूकता कार्यक्रम के दौरान एक प्रतिभागी ने किया।
बीते रोज डाइट परिसर में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजित किया गया। जिसमें डीएड के छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस प्रश्न के जवाब में बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि नहीं, बाल विवाह की इजाजत नहीं दी जा सकती,किंतु बालिका को उचित देखभाल एवं संरक्षण के अन्य विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे। अधिकारी शर्मा ने बताया कि ऐसी बालिकाओं को देखभाल एवं संरक्षण की जरूरतमंद मानते हुए उन्हें बालिकाग्रह या किसी छात्रावास में प्रवेश दिलाया जाता है,जहां वह सुरक्षित माहौल और विकास के अवसरों को प्राप्त करेगी। विवाह उसकी समस्या का समाधान नहीं, बल्कि एक नई समस्या में धकेलना है। कानून में बाल विवाह को क्रूरता माना गया है।
उल्लेखनीय है कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी के निर्देशन एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र सिंह जादौन के मार्गदर्शन में जिले को बाल विवाह मुक्त करने के लिए 100 दिवसीय जागरूकता अभियान का संचालन किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान डाइट प्राचार्य एमयू शरीफ, पूजा शर्मा एवं अन्य शिक्षक प्रशिक्षक मौजूद रहे। कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों ने जिले को बाल विवाह मुक्त करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में ममता संस्था की जिला समन्वयक कल्पना रायजादा ने बाल विवाह दुष्परिणाम बताते हुए बताया कि बाल विवाह रोकथाम के के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल करके या बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते है। सामाजिक कार्यकर्ता जीतेश जैन के द्वारा पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों तथा अन्य विभागीय योजनाओं के संबंध में जानकारी दी गई।

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