विधानसभा में उठा मामला- पैरामेडिकल स्टाफ भर्ती में गड़बड़ी के आरोप
शिवपुरी- शिवपुरी में खुलने वाले मेडीकल कॉलेज में भर्ती प्रक्रिया को लेकर जहां आरोप-प्रत्यारोप लगे थे वहीं अब इस मामले में हुई प्रक्रिया को लेकर विधानसभा में मामला उठा और इस मामले में जांच अधिकारी के रूप में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बता दें कि विधानसभा में शिवपुरी के दो विधायकों कांग्रेस के केपी सिंह और भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया ने मेडिकल कॉलेज शिवपुरी में हुई नियुक्तियों में घोटाले का मामला पुरजोर ढंग से विधानसभा में उठाया। विधानसभा में सरकार ने घोषणा की कि नियुक्तियों में हुए कथित घोटाले की जांच प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने यह भी स्वीकार किया कि नियुक्ति में हुए कथित घोटाले की शिकायत की जांच कमिश्रर के यहां लंबित हैं जिस पर दोनों विधायकों ने आपत्ति की कि कमिश्रर मेडिकल कॉलेज के पदेन अध्यक्ष हैं और ऐसी स्थिति में उनके कार्यकाल में मेडिकल कॉलेज में हुईं नियुक्तियों की जांच उनके द्वारा या उनके अधीनस्थ अधिकारी द्वारा कैसे की जा सकती है और यह जांच कैसे निष्पक्ष होगी। इस पर चिकित्सा शिक्षामंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने विधानसभा में घोषणा की कि नियुक्तियों में हुईं कथित गड़बडिय़ों की जांच प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे और जांच दल में डायरेक्टर चिकित्सा शिक्षा आदि भी रहेंगे। बताया जाता है कि जांच दल में शिवपुरी जिले के विधायकों का भी प्रतिनिधित्व रहेगा।
200 नियुक्तियों के मामले की होगी जांच
विदित हो कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। मेडिकल कॉलेज में लगभग 200 नियुक्तियां हुईं और नियुक्तियों में निर्धारित मापदण्ड का पालन नहीं किया गया। चिकित्सा शिक्षा आदर्श सेवा भर्ती नियम के तहत नियुक्तियों के लिए लिखित और मौखिक परीक्षा आयोजित की जानी थी, लेकिन इसके स्थान पर सीधे मैरिट सूची के आधार पर नियुक्तियां कर दी गईं। मैरिट अंक देने में भी मनमानी की गई। आदर्श सेवा भर्ती नियम क्यों नहीं लागू किया गया। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि 26 हजार से अधिक आवेदन नियुक्तियों के लिए आए और इतनी बड़ी आवेदकों की संख्या के कारण लिखित और मौखिक परीक्षा आयोजित न कर सीधे-सीधे मैरिट के आधार पर नियुक्ति कर दी गईं। आरोप है कि नियुक्तियों में लाखों रूपए का लेनदेन किया गया और अपात्र आवेदकों का चयन किया गया। मजे की बात तो यह है कि नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की शिकायत की गई तो कमिश्रर जो कि स्वयं मेडिकल कॉलेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैं, उन्होंने जांच के लिए कलेक्टर को अधिकृत कर दिया और कलेक्टर ने एडीएम को जांच के आदेश दे दिए।

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