पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और वर्तमान विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी बन सकते हैं चेहरा
फोटो-सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेन्द्र रघुवंशी व जयभान सिंह पवैया लगावें।
-राजू यादव (ग्वाल)-
शिवपुरी-एक बार फिर से लोकसभा चुनाव की दुमदुमी बजी और आगामी 12 मई को गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र मे मतदाता अपने मत का प्रयोग कर क्षेत्र के नए सांसद का निर्वाचन करेंगें और इसकी घोषणा 23 मई को होने वाली चुनावी मतगणना होगी। यह तो रही चुनावी प्रक्रिया लेकिन इस चुनावी समर में विजयी बनने के लिए वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुकाबले भाजपा को प्रत्याशी चयन में कोई खास चेहरा नजर नहीं आ रहा जो मोदी लहर के बाबजूद भी जब सांसद सिंधिया को पटखनी नहीं दे सका तो वर्तमान हालातों में वह क्या सांसद सिंधिया को चुनौती मानेगा अथवा भाजपा पार्टी इसे एक चुनौती के रूप में लेगी। फिलहाल जननर्चाओं और ग्रामीण क्षेत्रों पर गौर करें तो सांसद सिंधिया के खिलाफ दो ही चेहरे प्रमुखता से सामने नजर आते है इनमें पूर्व मंत्री एवं पूर्व लोकसभा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया तो वहीं दूसरी ओर वर्तमान कोलारस विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी है। इन्हीं दो चेहरों की स्वीकार्यता ही संभवत: लोकसभा चुनाव में होगी ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है फिलहाल प्रत्याशी चयन करना भाजपा के लिए भी बड़ी मुश्किल का काम है गाहे-बगाहे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा का नाम भी सुर्खियों में है लेकिन अभी घोषणा होना शेष है।
वीरेन्द्र रघुवंशी : सिंधिया से सीखा ककहरा और अब उन्हीं से मुकाबला!
देखा जाए तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लंबे समय तक कांग्रेसी राजनीति का ककहरा सीखने वाले वर्तमान कोलारस विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी क्यों क्षेत्र में लोगों की पसंद और जनता में चर्चा का विषय होकर वह लोकसभा प्रत्याशी है इस पर गौर करें तो सूत्रों के अनुसार गुना, अशोकनगर, बम्होरी, शिवपुरी, कोलारस और मुंगावली,चंदेरी में सर्वाधिक रूप से जातिवाद के रूप में रघुवंशी समाज के करीब 1.50 लाख मतदाता है वहीं भाजपा पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं की सक्रियता का लाभ भी यदि मिला तो संभव है कि भाजपा को अपने पुराने चेहरों की हार जिसमें खासकर स्व.देशराज सिंह यादव, पूर्व मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया जैसे बड़े चेहरों से इतर होने की संभावना है क्योकि वीरेन्द्र रघुवंशी अशोकनगर विधानसभा के भाजपा प्रभारी भी रहे हैं और वह लंबे समय से गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पहुंचकर अपनी पैठ भी बना चुके है। ऐसे में अब जनचर्चा है कि जिनसे राजनीति का ककहरा(सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया) सीखा अब उन्हीं से राजनीति में मुकाबला कर रहे है ऐसी चर्चाऐं तो हैं ही साथ ही क्षेत्र में लगाव, कार्यकर्ताओं के बीच पकड़, अपने राजनैतिक अनुभव यह गुण भी वीरेन्द्र रघुवंशी को लोकसभा उम्मीदवार बनाने में नजर आते है। बता दें कि वर्ष 2007-08 के उप चुनाव में वीरेन्द्र रघुवंशी ने जनता का समर्थन हासिल कर विजयश्री हासिल की थी जबकि सूत्रों की खबर है कि वर्ष 2013 में वीरेन्द्र रघुवंशी का मुकाबला भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया से तब के चुनाव में किसी षडयंत्र के तहत विधानसभा चुनाव में हराया गया था। ऐसे में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जब सांसद सिंधिया की साख कोलारस से कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह यादव पर लगी थी तब वीरेन्द्र रघुवंशी ने यहां भी 720 मतों से विजयश्री हासिल कर सांसद सिंधिया को अपनी राजनैतिक शक्ति को प्रदर्शित किया था।ऐसे में आज भी आए दिन जब भी सांसद सिंधिया कोलारस प्रवास पर आते है तब भरे मंच से उनकी यह पीड़ा उभर आती है और वह बार-बार कोलारस से कांग्रेस प्रत्याशी की हार को बर्दाश्त नहीं कर पाते है। बताया जाता है कि भाजपा के अशोकनगर प्रभारी रहते हुए वीरेन्द्र रघुवंशी को चंदेरी का प्रभार भी सौंपा था ऐसे में कोलारस को अपनी जन्म मानकर उन्होंने अशोकनगर और चंदेरी को छोड़ कोलारस को चुना और आज वह विजयी होकर विधायक है। अपने इसी आत्मबल की बदौलत वीरेन्द्र रघुवंशी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी नजर आते है अब उन्हें पार्टी बनाया या ना बनाए यह भविष्य के गर्त में है।
जयभान सिंह पवैया : पुराने प्रत्याशी और मोदी फैक्टर के प्रयोग से कर सकते कड़ा मुकाबला
वर्तमान में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुकाबले में भाजपा से यदि कोई और प्रत्याशी की चर्चा करें तो यहां पूर्व लोकसभा प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का चेहरा ही है जो लोकसभा में सांसद सिंधिया को कड़ी टक्कर सकते है वह इसलिए क्योंकि वर्तमान परिवेश में मोदी फैक्टर के तहत पुलवामा की घटना, वायुसेना के अधिकारी अभिनंदन की वापसी और प्रधानमंत्री मान-धान योजना यह ऐसे प्रमुख मुद्दे है जिनका लाभ भुनाने में जयभान सिंह पवैया कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगें। वहीं वंशवाद को लेकर मुखर विरोध उनकी जुबानी भाषा है और वंशवाद को लेकर वह कई बार सिंधिया राजघराने को भी जनता के बीच कठघरे में लाकर खड़ा कर चुके है लेकिन अपना करिश्मा दिखाने में कामयाब नहीं हो सके यही कारण रहा कि वह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में डेढ़ लाख मतों से पराजित हुए। सिंधिया की साफ-स्वच्छ छवि के बीच भाजपा के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया क्षेत्र मे जाना-पहचाना नाम है और मुंगावली, बमौरी में शिलालेख पट्टिाकाओं को लेकर हुए हंगामे में भी वह खासे चर्चाओं में रहे। ऐसे में सांसद सिंधिया के लिए पवैया की मेहनत इस बार बेकार नहीं जाएगी इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता।



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