वीरेन्द्र शर्मा
जिस तरह का कहर कोरोना का भारत वर्ष में टूट रहा है और संक्रमितों का आंकड़ा 55 लाख मरने वालों का आंकड़ा 80 हजार के पार बगैर किसी भी वैक्सीन के रहते पहुंच चुका है तो भविष्य की भयावहता को समझा जा सकता है अगर कोरोना संक्रमण की समझ रखने वाले विद्ववानों के गणित पर संज्ञान लें तो 1 से 5 और 5 से 50 है संक्रमित होने का सूत्र तो अगर दिसम्बर तक एक करोड़ का आंकड़ा हुआ तो परिणाम आंकड़ों का क्या होगा अंदाजा लगाया जा सकता है और गणित में समझ रखने वालों को गणितीय भाषा में कोरोना का भविष्य समझा जा सकता है जिस तरह से टॉप टू बॉटम वैक्सीन के अभाव में मास्क, सोशल डिस्टेंस के हिदायत की धज्जियां उड़ाई जा रही है और जिस तरह से लोग गर्व से अपने-अपने अनुभव साझां कर लोगों को यह संदेश देते नहीं थकते कि इम्युनिटी पावर अधिक ताकतवर है यह सबसे बड़ा लापरवाहीपूर्ण रवैया एक स्वस्थ समाज को आश्वस्त कर सकता है।
महानगरों से लेकर शहर, नगर, कस्बे, गलियों तक पैठ बनाता कोरोना मानव समाज को कहां ले जाकर छोडे़गा फिलहाल भविष्य के गर्भ में है अगर ऐसे ही हालात जबाबदेह और जनता जनार्दन के लिए बने रहे तो आने वाला समय मानव जीवन के लिए कतई शुभ संकेत नहीं, बेहतर हो अपनी रक्षा अपने हाथ सो सोशल डिस्टेंस के साथ मास्क और समय-समय पर हाथों को धोकर अपने अपनों को सुरक्षित रखने की शुरूआत होती है तो यह मानव जगत के हित में होगा वरना कोरोना का क्या आए दिन खत्म तो होते लोग इस बात के गवाह हैं कि संकट कुछ कम नहीं।

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