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Sunday, April 28, 2024

मैरिज गार्डोंन में अनियमतिताओं को लेकर अभिभाषक संघ अध्यक्ष विजय तिवारी ने लिखा पीएस व कलेक्टर-एसपी को पत्र


पार्किंग सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर की उचित कदम उठाए जाने की मांग

शिवपुरी।  नगर पालिका में बिना पंजीकृत होकर अवैध रूप से संचालित विवाह घरों के खिलाफ बरती जा रही अनियमितताओं को लेकर अभिभाषक संघ अध्यक्ष एड. विजय तिवारी के द्वारा नगरीय प्रशासन के पीएस सहित कलेक्टर-एसपी को पत्र लिखा है और इस संबंध में उचित कदम उठाए जाने की मांग की है। बताना होगा कि जिला मुख्यालय के अनेकों मैरिज गार्डोंनों में शादी-सहालग के समय सांझ ढलते ही शिवपुरी शहर जाम हो जाता है। जिसका सबसे बड़ा कारण बिना पार्किंग वाले मैरिज गार्डन हैं, जिनमें होने वाली शादियों में आने वाले लोग अपने वाहनों को रोड पर खड़ा कर जाते हैं। इस संबंध में जनहित याचिका क्रमांक 4623/2014 विजय तिवारी विरूद्ध प्रमुख सचिव आदि, उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के समक्ष इस आशय की प्रस्तुत की गई थी कि शिवपुरी नगर पालिका क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में मैरिज हाऊस संचालित हो रहे है तथा ऐसे सभी मैरिज हाऊस विधि विरुद्ध तरीके से संचालित हो रहे है, उनके पास पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था नहीं है, जिस कारण आम नागरिकों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है। उक्त याचिका में विवाह घरो से संबंधित अन्य कई मुद्दे उठाए गए थे।

एड. विजय तिवारी ने नोटिस में उल्लेख किया है कि वर्तमान में शिवपुरी नगर पालिका क्षेत्र में छोटे-बड़े सभी मिलाकर लगभग 200 विवाह घर का अवैध संचालन हो रहा है। नियमावली अनुसार 200 में से मात्र 4 विवाह घर नगर पालिका शिवपुरी में पंजीकृत है। साथ ही 8-10 विवाह घरों को छोड़कर अन्य किसी विवाह घर में पार्किंग के लिए कोई जगह उपलब्ध नहीं है, अधिकांश मैरिज गार्डन के संचालकों द्वारा आसपास स्थित खुली भूमि को पार्किंग दर्शाकर विवाह घरों का संचालन किया जा रहा है, जो कि पूर्णत: अवैध है। क्योंकि जनहित याचिका में पारित आदेश में स्पष्ट लिखा है कि कलेक्टर द्वारा तब तक विवाह घर संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक उसमें 35 प्रतिशत पार्किंग के लिए न हो।

इन अधिकारियों को दिया नोटिस
अभिभाषक संघ के जिलाध्यक्ष एडवोकेट विजय तिवारी ने प्रमुख सचिव, वित्तीय विकास विभाग, भोपाल, जिला अधिकारी (कलेक्टर) शिवपुरी, पुलिस अधीक्षक शिवपुरी व सीएमओ नगरपालिका शिवपुरी को नोटिस दिया है। जिसमें उल्लेख किया है कि उच्च न्यायालय के आदेश का 10 साल बाद भी पालन नहीं कराया जा रहा, शहर में पूरी रात जाम के हालात बने रहते हैं। रात-रात भर 10 डेसीबल से अधिक क्षमता के ध्वनि यंत्रो का उपयोग किया जा रहा है, उक्त ध्वनि यंत्रो के कारण हृदय रोगियों की जान पर संकट बना रहता है। नोटिस मिलने के 15 दिन में यदि हालात नहीं सुधरे तो फिर मजबूरन उच्च न्यायालय में अवमानना का याचिका प्रस्तुत करनी पड़ेगी, जिसका सभी हर्जा-खर्चा जिम्मेदार अधिकारियों का होगा।

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