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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Monday, November 10, 2025

रास का अध्यात्मिक दर्शन आचार्य विक्रम जी ने श्रोताओं को कराया


कथा स्थल पर भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला

शिवपुरी। पोहरी जनपद के ग्राम भटनावर में श्रीबाबाजी वाले बगीचा में जोशी परिवार द्वारा भटनावर में चल रही श्री भागवत कथा के छठवें दिन  आचार्य विक्रम महाराज ने मुख्य रूप से श्रवण कराते हुए कहा कि रस क्या है रस का अध्यात्मिक दर्शन हमें जीवात्मा और परमात्मा के मिलन हो उसी को रासलीला कहते हैं। एक तरफ गोपिया है, एक तरफ कृष्ण भगवान है। हर एक गोपी हर  इंद्रियों से भगवान के माधुरी रस व  ईश्वरी रस गृहण करती है। इसलिए* :गोभी  इंद्रिय कृष्णम रसम पिवती इति गोपी: जब   माया का पर्दा हटता है तभी जीव को ब्रह्म दर्शन होते हैं।

आगे बताया ब्रज वासियों से भगवान अत्यंत प्रेम करते हैं। इसलिए मथुरा के राजमहल में बैठकर अपने प्रिय ब्रजवासियों को याद करते हुए रुदन करते हुए  अश्रपत्र करते हुए अपने प्रिय बृजवासियों को याद करते हैं। इसलिए उद्धव को भगवान ने वृंदावन भेजा। क्योंकि मथुरा में रोते हुए भगवान कृष्ण अकेले बैठे हैं। इसलिए उद्धव को ब्रज भेजो क्योंकि उद्धव जी ब्रह्म ज्ञानी है ,पर प्रेम में शून्य है। भगवान ज्ञान की अपेक्षा   प्रेम में अधिक प्रसन्न होते हैं इसलिए उद्धव को बृज भेज कर गोपियों के माध्यम से ज्ञान की गुदड़ी ओड़कर बृज भेजा। गोपियों ने प्रेम की चुनरिया ओड़कर उद्धव जी को मथुरा भेजा। कथा व्यास महाराज ने  कहा कि जब-जब जीव में अभियान रहता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं इसलिए व्यक्ति को अभियान कि रहा छोड़कर संस्कार युक्त जीवन जीना चाहिए। इस मौके पर वेदपाठी पंडितो  ने वेद मंत्र सहित विधिवत रूप से पूजा करवाई इस अवसर किशोरी दास महाराज  एवं हजारों जन आदि मौजूद रहे। अन्त में आरती हुई।

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