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Sunday, December 28, 2025

महाराष्ट्र के गन्ना खेतों में बंधक बने 16 सहरिया मजदूरों की सकुशल वापसी पर सहरिया क्रांति को सुनाई अपनी व्यथा


पुलिस और सहरिया क्रांति के प्रयासों से मिली 48 घंटे में आजादी

शिवपुरी। गुलामी की जंजीरें जब टूटती हैं, तो इंसान सबसे पहले खुली हवा में सांस लेता है, लेकिन शिवपुरी के सेंवड़ा गाँव के उन 16 मजदूरों के लिए यह सांस भी भारी थी। पिछले दो महीनों से महाराष्ट्र के सोलापुर में अमानवीय यातनाओं का दंश झेल रहे ये सहरिया आदिवासी जब अपने घर लौटे, तो मंजर भावुक कर देने वाला था। आज जब ये मजदूर सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन के निवास पर पहुँचे, तो उनका सब्र का बांध टूट गया।

वे गले लगकर रोने लगे। उनकी सिसकियों में रिहाई की खुशी कम और उन काली रातों का खौफ ज्यादा था, जिन्हें उन्होंने गन्ने के खेतों में बंधक बनकर भोगा था। इस दर्दनाक दास्तां की शुरुआत भरोसे के कत्ल से हुई। सेंवड़ा गाँव का ही निवासी नीतेश आदिवासी करीब ढाई माह पहले एक ठेकेदार को लेकर आया था। सुनहरे भविष्य और अच्छी मजदूरी का सपना दिखाकर उसने 5 परिवारों के 23-24 लोगों को सोलापुर (महाराष्ट्र) जाने के लिए राजी कर लिया। भूख और गरीबी से जूझ रहे इन भोले-भाले आदिवासियों को लगा कि शायद 15 दिन की मेहनत उनकी किस्मत बदल देगी। लेकिन उन्हें क्या पता था कि वे मजदूरी करने नहीं, बल्कि एक आधुनिक जेल में कैद होने जा रहे हैं। वहाँ पहुँचते ही नीतेश, जो उनका अपना था, मजदूरों के हिस्से के पैसे लेकर फरार हो गया। इसके बाद शुरू हुआ ठेकेदार का कहर। जो मजदूर बचे थे, उन्हें बंधक बना लिया गया।  

एसपी ने तुरंत लिया मामले का संज्ञान, महाराष्ट्र पुलिस का मिला सहयोग
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ ने इसे तत्काल संज्ञान में लिया। उन्होंने पीडि़त परिवारों को ढांढस बंधाया और वादा किया कि उनके परिजनों को हर हाल में सुरक्षित वापस लाया जाएगा। यह महज एक आश्वासन नहीं था, बल्कि एक मिशन था। एसपी अमन सिंह राठौड़ ने तुरंत सोलापुर (महाराष्ट्र) के पुलिस अधीक्षक अतुल कुलकर्णी और पंडरपुर के एसडीओपी प्रशांत डगले से संपर्क साधा। इधर, शिवपुरी से थाना प्रभारी सुभाषपुरा राजीव दुबे को एक्शन मोड में लाया गया। मोबाइल लोकेशन ट्रेस की गई तो पता चला कि मजदूर सोलापुर जिले के ग्राम पिराचीकिरौली, थाना पंडरपुर में हैं। 

सूचना मिलते ही सुभाषपुरा थाने के उप निरीक्षक अनिल पाटिल अपनी टीम के साथ महाराष्ट्र के लिए रवाना हुए। यहां एसपी शिवपुरी के निर्देश पर एक विशेष वाहन से महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग से जब शिवपुरी पुलिस की टीम पिराचीकिरौली के उस खेत में पहुँची, तो मजदूरों को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। पुलिस ने जब ठेकेदार के चंगुल से उन्हें मुक्त कराया, तो वे फूट-फूट कर रो पड़े। पूछताछ में पता चला कि नीतेश आदिवासी ने ही उन्हें इस हालत में पहुँचाया था।  

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