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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Monday, December 8, 2025

न्याय की आस में कलेक्टे्रट पर ही बैठा आदिवासी परिवार


शिवपुरी।
अपनी जमीन पर जबरिया हो रहे निर्माण को रोकने की गुहार लेकर आदिवासी परिवार न्याय की आस में आटा पानी तेल भाजी और दरी कथरी साथ लेकर प्रशासन के दरवाजे पर आ बैठे हैं। उनका कहना है कि जिस जमीन पर वे पीढिय़ों से रह रहे और खेती करते आए हैं उसी पर प्रशासन द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण कराया जा रहा है। कई बार शिकायत देने के बावजूद न कोई माप कराई गई और न ही निर्माण पर रोक लगी। मजबूरी में रोजमर्रा का राशन और बिछावन साथ लेकर आए आदिवासियों ने प्रशासन के सामने साफ कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक यहीं डटे रहेंगे। बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों के साथ बैठे इन लोगों की आंखों में डर और आक्रोश दोनों है। आदिवासियों का कहना है कि कानून कागजों में जरूर बराबरी की बात करता है लेकिन जमीनी हकीकत में गरीब की आवाज कोई सुनने को तैयार नहीं है। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन उनकी जमीन की रक्षा करेगा या न्याय की यह लड़ाई यूं ही सड़क पर दम तोड़ देगी।  

आदिवासियों ने कहा हमारे पास नहीं कोई वैकल्पिक भूमि
इस दौरान आदिवासियों ने साफ कहा कि उनके पास कोई वैकल्पिक भूमि नहीं है। पीढयि़ों से वे इसी जगह रह रहे हैं। यह केवल जमीन का नहीं, बल्कि अस्तित्व और सम्मान का सवाल है। अधूरे आवासों के कारण उनका श्रम, समय और सीमित संसाधन सब बर्बाद हो रहा है। डेरा डाले बैठे आदिवासियों ने मांग की कि उनके पट्टों की जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण तत्काल रोका जाए, प्रधानमंत्री जनमन आवास की रोकी गई दूसरी किश्त तुरंत जारी की जाए और उन्हें उनके घर पूरे करने दिया जाए। सहरिया क्रांति के राष्ट्रीय संयोजक सनजी बेचैन का कहना है कि आदिवासियों को बेदखल उनकी बर्षों पुरानी भूमि से बेदखल करना मानव अधिकारों का उल्लंधन है। हमे प्रदेश व्यापी आंदोलन को विवश होना पड़ेगा। कड़ाके की ठंड में कलेक्टर कार्यालय के बाहर बैठे ये परिवार सिर्फ छत नहीं मांग रहे, बल्कि अपने हक, भरोसे और उस व्यवस्था से जवाब मांग रहे हैं, जिसने पहले सपना दिखाया और अब उसे अधूरा छोड़ दिया। अब देखना यह है कि प्रशासन इन सिहरती आवाज़ों को सुनेगा या यह डेरा किसी और बड़े संघर्ष की शुरुआत बनेगा।

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