आईटीआई में जागरूकता कार्यक्रम में प्रश्न- बाल विवाह हो गया तो करें ?, जबाब- शून्य कराने के लिए कोर्ट में आवेदन करें।शिवपुरी- साहब, अगर किसी लड़की या लड़के का बाल विवाह हो गया है और वह अपने बाल विवाह से दुखी है, तो वह क्या कर सकता है? यह प्रश्न महिला एवं बाल विकास द्वारा बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत। आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के दौरान एक किशोर ने पूछा। शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (आईटीआई) शिवपुरी में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बाल विवाह निषेध कानून के संबंध में जानकारी दे रहे बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा से एक किशोर ने यह प्रश्न किया। जिस पर अधिकारी ने उसे जबाव दिया कि बाल विवाह को शून्य कराने की व्यवस्था कानून में है,उसके लिए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करना होता है।
सामाजिक कार्यकर्ता जीतेश जैन ने मौजूद छात्र छात्राओं से दीवार लेखन, चौपाल, आपसी संवाद आदि के माध्यम से बाल विवाह के दुष्परिणाम बताकर लोगों को जागरूक कर जिले को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने में सहयोग करने की अपील की। कार्यक्रम में आईटीआई प्राचार्य सचिन कौरव, नीरज गुप्ता, सतीश गंगुलिया, गोविंद ठाकुर एवं स्टाफ के अन्य लोग मौजूद थे।
बाल विवाह शुन्यकर्णीय है?
विवाह के समय यदि वर- बधू में से किसी एक की उम्र विवाह के लिए निर्धारित उम्र से कम है, तो ऐसे बाल विवाह पीडि़त वर या बधू अपने विवाह को वयस्क होने के 2 वर्ष बाद अर्थात लड़की 20 वर्ष तक तथा लड़का 23 वर्ष की उम्र तक बाल विवाह शून्य घोषित करा सकते है। कानून में बाल विवाह शून्य के मामले में भरण पोषण दिए जाने का भी प्रावधान है।
बाल विवाह से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है बाधित
अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने बताया कि कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी के निर्देशन में तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र सिंह जादौन के मार्गदर्शन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को गति देने के लिए जिले में 100 दिवसीय कार्ययोजना तैयार की गई है जिसमे विभिन्न विभागों के समन्वय से जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जा रही है। कार्यक्रम में ममता संस्था की समन्वयक कल्पना रायजादा ने बताया कि बाल विवाह किशोर किशोरियों के शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करता है। आप लोग अपने अपने क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के प्रयास करें।
बाल विवाह शुन्यकर्णीय है?
विवाह के समय यदि वर- बधू में से किसी एक की उम्र विवाह के लिए निर्धारित उम्र से कम है, तो ऐसे बाल विवाह पीडि़त वर या बधू अपने विवाह को वयस्क होने के 2 वर्ष बाद अर्थात लड़की 20 वर्ष तक तथा लड़का 23 वर्ष की उम्र तक बाल विवाह शून्य घोषित करा सकते है। कानून में बाल विवाह शून्य के मामले में भरण पोषण दिए जाने का भी प्रावधान है।
बाल विवाह से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है बाधित
अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने बताया कि कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी के निर्देशन में तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र सिंह जादौन के मार्गदर्शन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को गति देने के लिए जिले में 100 दिवसीय कार्ययोजना तैयार की गई है जिसमे विभिन्न विभागों के समन्वय से जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जा रही है। कार्यक्रम में ममता संस्था की समन्वयक कल्पना रायजादा ने बताया कि बाल विवाह किशोर किशोरियों के शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करता है। आप लोग अपने अपने क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के प्रयास करें।

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