सांसद ङ्क्षसधिया को सौंपा शिकायती पत्र, कार्यवाही की मांग
शिवपुरी- शहर में आधुनिक चिकित्सा पद्वति के नाम पर उपचार करने वाले सिद्धि विनायक हॉस्पिटल की लापरवाही गत दिवस उस समय सामने आई जब एक युवती की मौत पर परिजनों द्वारा अस्पताल प्रबंधन पर ही दोष मढ़ा गया जिसके चलते युवती की जान चली गई। इस मामले में पीडि़त परिवार ने आज शिवपुरी प्रवास पर आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिकायती पत्र सौंपते हुए उचित कार्यवाही करने की गुहार लगाई है।
शिकायती पत्र में आरोप लगाते हुए मृतका के भाई नीतेश सिंघल निवासी शिवपुरी ने बताया कि उसकी बहिन कुं.ममता सिंघल जिसे बीती 4 मार्च को शिवपुरी के पोहरी रोड़ स्थित निजी अस्पताल सिद्धि विनायक में तबियत खराब होने पर भर्ती कराया गया था। चूंॅकि यहां आधुनिक चिकित्सा एवं विशेषज्ञ चिकित्सक के होने की जानकारी के चलते नीतेश ने अपनी बहिन का उचित उपचार कराने को लेकर इस अस्पताल की शरण ली और उसे भर्ती कराया लेकिन इस आधुनिक चिकित्सा नीतेश के लिए भारी पड़ गई जिसमें अस्पताल प्रबंधन को कठघरे में खड़ा करते हुए नीतेश सिंघल ने बताया कि जब अस्पताल में कुसुम सिंघल को आराम नहीं मिल रहा था और उसे ऑक्सीजन की कमी बताई गई, तब हमने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि वह ग्वालियर जाने के लिए रवाना कर एम्बुलेंस की व्यवस्था कर दे, प्रबंधन द्वारा एम्बुलेंस भी दी गई लेकिन जब ऑक्सीजन की बात की गई तो ना तो अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेण्डर मिला और ना ही एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलेण्डर मिल सका जिसके चलते उपचार के दौरान नीतेश की बहिन कुसुम ने ग्वालियर ले जाते वक्त दम तोड़ दिया और उसकी मौत हो गई। नीतेश ने अपनी बहिन की मौत के लिए सिद्धि विनायक अस्पताल को दोषी माना और इस मामले में उचित कार्यवाही कराने को लेकर शिवपुरी प्रवास पर आए सांसद सिंधिया को शिकायती पत्र सौंपा और शीघ्र कार्यवाही की मांग की।
ऑक्सीजन के लिए जमा किए पैसे फिर भी नहीं मिला उपचार और हो गई मौत
यहां बता दें कि अपनी बहिन का इलाज करने सिद्धि विनायक पहुंचे नीतेश सिंघल ने हजारों रूपये अपनी बहिन कुसुम सिंघल के उपचार को लेकर हजारों रूपये खर्च किए गए बाबजूद इसके वह अपनी बहिन को नहीं बचा सका। यहां एम्बुलेंस पर 2800 रूपये, ऑब्जरवेशन चार्जेज के 500 रूपये, ऑक्सीजन के नाम पर 700 रूपये लिए गए बाबजूद इसके युवती कुसुम के परिजनों द्वारा पैसे चुकाने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल सकी और उसने दम तोड़ दिया। इस प्रकार करीब 4 हजार रूपये चुकाने के बाद भी नीतेश अपनी बहिन को नहीं बचा सका।

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