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Thursday, April 6, 2023

चित्र को नहीं चरित्र को ग्रहण करने वाला है आर्य समाज : दीदी अंजलि आर्या



श्रीहनुमान जयंती के अवसर पर श्रीराम के आदर्शों पर चलने का बताया मार्ग

शिवपुरी- अक्सर देखा गया है कि मनुष्य भगवान को विभिन्न मूर्तियों, चित्रों और तीर्थ स्थलों पर जाकर ढूंढने का प्रयास करता है लेकिन  वह यह नहीं जानता कि ईश्वर तो सदैव उसके हृदय में है और हृदय से किया गया प्रभु स्मरण सदैव ईश्वर से जोड़ता है, भगवान श्रीराम एक आदर्श है और वह चित्रों में नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य को उनके चरित्र को ग्रहण करना चाहिए, महर्षि दयानंद के अनुसार आर्य समाज भी भगवान के चित्र को नहीं बल्कि चरित्र को ग्रहण करने वाला है और हमेशा सत्य के मार्ग पर चलता है, जीवन में दिखावा कभी ना करें जो यथार्थ है उसे बताऐं और उसी मार्ग पर चलें जहां किसी को कष्ट ना हो और सदैव दूसरों की सहायता करने वाला मार्ग प्रशस्त हो। जीवन के इस गूढ़ रहस्या को बताया कि प्रसिद्ध वेदकथा वाचक दीदी अंजली आर्या ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में आयोजित वैदिक राष्ट्रकथा के माध्यम से आर्शीवचन प्रदान कर रही थी। 

इस अवसर पर पांच दिवसीय वैदिक राष्ट्रकथा के मुख्य यजमान श्रीमती आरती-इन्द्रजीत चावला परिवार के द्वारा हवन-यज्ञ करने के पश्चात सर्वप्रथम कथावाचक दीदी अंजली आर्या एवं उनके सहयोगी संगीत कलाकारों का पट्टिका पहनाकर स्वागत किया गया। इस दौरान मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा भोपाल के पूर्व प्रधान इन्द्रप्रकाश गांधी के आशीर्वाद एवं गरिमामय उपस्थिति में तथा आर्य समाज शिवपुरी के यशस्वी प्रधान समीर गांधी के मार्गदर्शन में और आर्य समाज के समस्त पदाधिकारियों एवं सदस्यों के सक्रिय सहयोग से अतिथि यज्ञ का यह सौभाग्य श्रीमती आरती-इन्द्रजीत चावला परिवार के द्वारा ग्रहण किया। 

कथा के क्रम में दीदी अंजली आर्या ने कहा कि कभी भी दिखावे का जीवन ना जीऐं, यह हमेशा दु:खदायी होता है, उन्होनें वर्तमान परिवेश में माता-पिता और संतान के बीच के मर्म को भी समझाया कि किस प्रकार से एक समय था जब माता-पिता की संतान आज्ञाकारी होती थी, उस समय वृद्धाश्रम नहीं होते थे वानप्रस्थ होते थे जब वृद्धावस्था के दौर में माता-पिता स्वयं अपनी सभी सुख-सुविधाऐं और संपत्तियां अपने पुत्रो को सहर्ष सौंप देते थे लेकिन आज का यह युग बदल गया है यहां वानप्रस्थ तो नहीं लेकिन वृद्धाश्रम जरूर मिल जाऐंगें और वह संतानें भी है जो अपने माता-पिता को घर से बेदखल कर उन्हें वृद्धाश्रम की ओर धकेल देती है। इसलिए कभी भी दिखावा नहीं करें बल्कि जीवन को सत्य के मार्ग पर चलाऐं।

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