कांग्रेस प्रत्याशी की जोरदार हवा के बीच भाजपा प्रत्याशी की जीत ने चुनाव लडऩे का नई परिभाषा को दिया जन्म
शिवपुरी- अधिकांशत: देखा गया है कि चुनाव समर में हरेक प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने उन्हें लुभाने के लिए ना-ना प्रकार के प्रदर्शन और तरीकों को अपनाता है तब कही जाकर मतदाता अपना खुल रूप प्रत्याशी के पक्ष में रखता है लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों ने जो चुनावी परिणाम दिए है वह मतदाता की चुप्पी के बाद हुए मतदान में निकले हुई मतगणना में अप्रत्याशित परिणाम दिए जिसमें भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया के प्रति जनता का विरोध की जहां चर्चाऐं चलती रहीं तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ लढ़ा के पक्ष में जमकर हवा चली, लेकिन जब इस चुनाव का परिणाम मतपेटियों से निकलकर सामने आया तो इस चुनावी परिणाम ने चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों के लिए चुनाव लडऩे की नई परिभाषा को जन्म दे दिया है।
यहां बताना होगा कि जब से वर्ष 2018 की चुनावी दुमदुमी क्या बजी, शिवपुरी विधानसभा से महल के विरोध स्वरूप कांग्रेस को प्रत्याशी ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। यहां तक तक कि ऐनवक्त तक कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रत्याशीयों की घोषित सूची में शिवपुरी विधानसभा अंतिम समय तक विलंब किया गया और भाजपा की घोषित प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया के विरूद्ध कांग्रेस पार्टी ने नए चेहरे के रूप में युवा प्रत्याशी सिद्धार्थ लढ़ा को चुनाव मैदान में उतारा। राजनैतिक रूप से भले ही सिद्धार्थ लढ़ा कमजोर रहें हो लेकिन बाबजूद इसके उन्होंने अपने चुनावी प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और चुनाव आयोग के नियम निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव लड़ा। यहां सिद्धार्थ ने अपनी पुरजोर ताकत के साथ चुनाव लड़ते हुए विधानसभा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में भी कड़ी मेहनत की, कांग्रेसजनों ने भी साथ दिया लेकिन कुछ कांग्रेसजनों को छोड़ दिया जाए तो शेष कांग्रेसी सिद्धार्थ के पक्ष में मतदान करने की अपील करते रहे। यहां मतदाताओं ने चुनावी माहौल में निर्वाचन प्रचार-प्रसार से लेकर मतदान प्रचार की समाप्ति तक जो माहौल विधानसभा शिवपुरी में निर्मित किया वह चौंकाने वाला था। एक ओर जहां भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया ने कई समाजों की बैठकें लेकर इस चुनाव को पहले हल्के में लिया तो वहीं चुनाव प्रचार के कुछेक दिनों बाद भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया को यही चुनाव चुनौती भरा लगने लगा और यह हवा पूरे विधानसभा में फैल गई कि इस बार के चुनाव में महल को पटखनी देकर नए युवा प्रत्याशी को अवसर दिया जाएगा। इसके अलावा सपाक्स समाज पार्टी के युवा चेहरे पत्रकार बृजेश सिंह तोमर और आम आदमी पार्टी से चुनाव लडऩे वाले आप प्रत्याशी एड.पीयूष शर्मा और बसपा से इरशाद राईन भी चुनाव मैदान में थे जिससे आशा थी कि वोटबैंक बदलकर कहीं ना कहीं इस चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देगा। लेकिन ऐन समय तक मतदाता की चुप्पी ने पूरे समीकरण ही बदल दिए, जहां मतदान पश्चात से लेकर मतगणना तक पूरे समय कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ लढ़ा के विजयी होने की चर्चाऐं सरगर्म होने लगी और जब परिणाम निकलकर सामने आए तो मतदाता की चुप्पी ने शिवपुरी विधानसभा से अप्रत्याशित परिणाम दिए और इस चुनाव में भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया से कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ लढ़ा 27 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए। मतगणना में भी उन्हें शुरू से ही बढ़त नहीं मिली और वह ग्रामीण क्षेत्रों से भी पराजित हुए जबकि ग्रामीण क्षेत्रों से गत वर्ष 2013 में भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव हारी थी ऐसे में इस बार के चुनाव परिणामों ने अब भविष्य में चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों को नई परिभाषा का जन्म दिया कि वह कैसे मतदाताओं को अपनी ओर खीचें और स्वयं की मेहनत और विश्वास के बाद भी उसका वोट बैंक कहीं दूसरे प्रत्याशी को ना मिल जाए इसे लेकर नई रणनीति बनानी होगी। अब देखना होगा कि भविष्य के चुनाव में यह प्रक्रिया क्या रंग लाएगी यह तो आने वाले समय में होने वाले चुनावों में देखने को मिलेगा।
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